अमेरिका और चीन के मध्य तनाव गहराता जा रहा है। व्यापार के कारण दोनों राष्ट्रों में रार अब कई मसलों पर बढती जा रही है। अमेरिकी संसद ने उन चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबन्ध के प्रस्ताव को पारित कर दिया है, जो अमेरिकी नागरिकों, अधिकारियों और पत्रकारों को तिब्बत में प्रवेश करने से रोक रहे थे। इस हिमालयी राष्ट्र से दलाई लामा निर्वासित है।
हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी उत्पादों के आयात पर अत्यधिक अतिरिक्त शुल्क लगाया था जिसके प्रतिकार में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर शुल्क थोपा था। इस बिल को अब व्हाइट हाउस भेजा गया है, जहां इस पर दस्तखत करने कानून में परिवर्तित कर दिया जायेगा।
सीनेटर मार्क रुबियो ने कहा कि “रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट” जो पारस्परिकता पर आधारित है, यह आपसी मेल भाव चीन के साथ हमारे समबन्धों से गायब हैं। उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रपति जल्द ही इस कानून पर हस्ताक्षर कर दें।
रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट 2018
इस एक्ट को हाउस ऑफ़ रेप्रेसेंटिव ने प्रतिनिधि जिम मक्गोवेरन और रैंडी हुलतग्रेन ने प्रस्तावित सीनेट में इस बिल को मार्क रुबियो और टैमी बाल्डविन ने किया था। इस बिल के तहत अमेरिकी पत्रकारों, कूटनीतिज्ञों और नागरिकों को तिब्बत में प्रवेश पर पाबन्दी की जानकारी देना था। उन्होंने कहा कि यह एक्ट हमारे लिए महत्वपूर्ण है और इसे राष्ट्रपति के डेस्क पर भेजकर मुझे ख़ुशी है।
सीनेटर रोबर्ट मेनेन्देज़ ने कहा कि यह एक्ट संवैधानिक निष्पक्षता पर आधरित है। उन्होंने कहा कि चीनी नागरिक अमेरिका में प्रवेश का लुत्फ़ उठाते हैं, जो वाकई भयावह है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरह ही तिब्बत में अमेरिकी छात्रों, पत्रकारों और नागरिकों को आवाजाही का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर चीन अपने नागरिकों, पत्रकारों और अधिकारियों को अमेरिका में मुक्त आवाजाही की आज़ादी चाहता है तो उसे अमेरिका के लोगों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करना होगा।
तिब्बत के 14 वें 83 वर्षीय दलाई लामा अभी भारत में निर्वासित हैं। तिब्बत में चीनी हुकूमत से हारने के बाद दलाई लामा साल 1959 में तिब्बत से भाग गए थे। इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत के अध्यक्ष मत्तेओ मकाक्की ने कहा कि इतिहास गवां है कि अ,एरिका ने तिब्बत की जनता का समर्थन किया है और यह अपनी रणनीतिक सुरक्षा हितों के कारण किया है। उन्होंने कहा कि इस बिल के पारित होते ही अमेरिका ने संकेत दे दिया कि तिब्बत का भविष्य अमेरिका की विदेश नीतियों की प्राथमिकताओं में होगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका जनता का तिब्बत को समर्थन यह दर्शाता है कि वह चीन के निरंकुश शासन और पक्षपाती नीतियों का विरोध करते हैं, जो विश्व पर अपना प्रभुत्व और कानून लागू करने की इच्छा रखता है।