अमेरिका के ईरान पर दुसरे चरण के प्रतिबन्ध लगने के बाद, ईरानी अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिखाई दे रही है। हसन रूहानी ने मंगलवार को 47 अरब डॉलर का राज्य बजट पेश किया, जिसमे निचली आय वाले लोगों पर निवेश बढ़ाना था। हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरानी लोगों को प्रभावित और आर्थिक वृद्धि में रोक लगायी है, लेकिन सराकर को घुटनों पर लाने में नाकामयाब हुई है।
हमें घुटने पर लाने वाली रणनीति विफल
डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को बीते मई में तोड़ दिया था और ईरान के तेल उद्योग सहित कई अन्य चीज़ों पर प्रतिबन्ध थोप दिए थे। संसद में भाषण के दौरान हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिका का मकसद, ईरान की इस्लामिक प्रणाली को घुटनों पर लाना था, लेकिन वह इसमें विफल साबित होंगे। हालांकि इन प्रतिबंधों ने निसंदेह हमारे नागरिकों को प्रभावित किया है, देश के विकास और आर्थिक प्रगति को रोका है।
21 मार्च से शुरू हो रहे ईरानी बजट के लिए 47 हज़ार ट्रिलियन रियाल दिया दिया गया है। इस साल के लिए इरानी सरकार ने 37 हज़ार ट्रिलियन रियाल का बजट प्रस्ताव दिया था। ईरान की मुद्रा में निरंतर कमजोर होती जा रही है।
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वेतन वृद्धि
हसन रूहानी ने कहा कि राज्य कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आगामी वर्ष से वेतन में 20 फीसदी की वृद्धि की जाएगी। बाज़ार में आधी कीमत में उत्पाद के लिए, इस बजट में 14 अरब डॉलर सब्सिडी के लिए हैं ताकि नागरिकों को दवाईया और खाद्य सामग्री कम कीमत में मुहैया की जा सके।
अधिकारीयों के मुताबिक यह बजट निम्न आय वाले लोगों की बुनियादी जरूरतों को देखते हुए तैयार किया गया है, ताकि उत्पादन और रोजगार में सहयोग किया जा सके। इस बजट को संसद में पारित किया जायेगा और इस विधान को कानून बनने से पूर्व सांसदों द्वारा पारित किया जायेगा।
तेल पर आश्रित अर्थव्यवस्था
अधिकारीयों ने बताया कि इस बजट का आंकलन प्रति बैरल कच्चे तेल 50 से 54 डॉलर और प्रतिदिन के निर्यात पर आधारित है। 2018 के मध्य में कच्चा तेल 3 अरब बैरल प्रतिदिन निर्यात किया जायेगा। हसन रूहानी ने कहा कि यदि देश में निजी क्षेत्र मौजूद हो, तो बजट तेल पर निर्भर न रहे, और प्रतिबंधों प्रभाव कम होता।