अफगानिस्तान की सरजमीं से अमेरिका वापसी के लिए शांति प्रस्ताव पर रज़ामंदी दे रहा है। भारत ने इसे देखते हुए अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। भारतीय सूत्रों के मुताबिक “हमने अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक कर्ताओं व गुटों से स्वतंत्र रूप से बातचीत शुरू कर दी है। अफगानिस्तान में हमारे प्रमुख आर्थिक संपत्ति है और उन हितों को सुरक्षित करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हाल ही के हफ्ते में कुछ खिलाड़ियों ने भारत का दौरा का किया था और भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की थी। खबरों के मुताबिक भारत सरकार बिना लाइम लाइट में आये अफगानिस्तान में कार्य कर रही है। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि अफगानी सरजमीं क त्यागने के लिए अमेरिका और तालिबान शांति समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
बीते वर्ष नवम्बर में भारत ने तालिबान के साथ बातचीत के अपने मत को स्पष्ट किया था। भारत ने रूस में आयोजित शांति वार्ता में अपने दो अनुभवी अधिकारी, पाकिस्तान में पूर्व भारतीय राजदूत टीसीए राघवन और अफगानिस्तान में पूर्व भारतीय राजदूत अमर सिन्हा को भेजा था। अलबत्ता भारत ने स्पष्ट किया था कि यह गैर आधिकारिक स्टार पर भेजे गए अधिकारी है। नई दिल्ली का मत स्पष्ठ था कि तालिबान के साथ वार्ता के दौरान भारत भी उपस्थित रहेगा।
हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई से मुलाकात की थी, जो इस शांति व सुलह प्रक्रिया में एक ताकतवर भूमिका में उभर रहे हैं। साथ ही भारत ने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से मुलाकात भी की है, इसमे रूस, चीन अमेरिका शामिल है। सूत्रों के मुताबिक भारत चीन के साथ अफगानिस्तान के भविष्य के बाबत बातचीत की योजना बना रहा है। हालांकि नई दिल्ली ने पाकिस्तान से बातचीत में कोई दिलचस्पी नही दिखाई है।
मौजूदा समय के अनुसार भारत अफगानिस्तान में 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव चाहता है। भारत ने अमेरिकी राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद को कहा है कि “मौजूदा राजनीतिक और संवैधानिक ढांचे की सुरक्षा होनी चाहिए।” भारत साथ ही अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं को जारी रखने की योजना बना रहा है।
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के निर्माण को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खिल्ली उड़ाई थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि जंगी देश में कोई लाइब्रेरी का इस्तेमाल नहीं करेगा। साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान की सुरक्षा में भारत का योगदान न देने के लिए भी आलोचना की थी।