भारत और रूस के मध्य हुए एस-400 रक्षा सौदे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। ट्रम्प प्रशासन के एक अधिकारी नें इस बारे में कहा कि भारत नें रूस से समझौता करके और ईरान से तेल खरीदना जारी करके अच्छा नहीं किया है।
उन्होनें कहा कि भारत द्वारा लिए गए दोनों ही फैसलों की वजह से भारत पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं।
इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि भारत को जल्द ही प्रतिबंधों के बाबत अमेरिकी फैसले का पता चल जायेगा।
अमेरिका में कासटा कानून इसी वर्ष पारित हुआ है इस एक्ट का मकसद अमेरिका के कानून का उल्लंघन करने वाले राष्ट्रों पर प्रतिबन्ध लगाना था। अमेरिका ने रूस पर हथियारों की खरीद फरोख्त को रोकने के लिए कासटा के तहत प्रतिबन्ध लगाए हैं।
नई दिल्ली में आयोजित सालाना सम्मलेन में भारत रूस संबंध को मजबूती देते हुए भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने रुसी राष्ट्रपति व्लामिदिर पुतिन के साथ एस-400 रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
भारत और रूस के मध्य हुए समझौते के बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को जल्द ही ज्ञात हो जायेगा। उन्होंने कहा आपको (मीडिया) जल्द ही मालूम हो जायेगा।
डोनाल्ड ट्रम्प के मीडिया से मुखातिब होने के दौरान राज्य सचिव माइक पोम्पिओ भी मौजूद थे। सूत्रों की मुताबिक हाल ही में भारत को रूस के साथ हथियारों का सौदे में रियायत देने के कारण रक्षा सचिव जेम्स मैटिस और माइक पोम्पिओ के मध्य तकरार हुई थी।
वाइट हाउस ने पिछले सप्ताह जारी बयान में कहा कि भारत जैसे देशों को रुसी हथियारों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबंधों में रियायत बरती गई है। जाहिर है इस बयान के जरिये अमेरिका की ओर से भारत अमेरिका संबंधों को बरकरार रखने की कोशिश की गयी थी।
नई दिल्ली में तैनात भारतीय राजदूत ने कहा था कि कासटा कानून का मकसद सहयोगी और साझेदार देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचना नहीं है बल्कि इसका लक्ष्य रूसी हथियारों की खरीद फरोख्त से रोकना है।
अमेरिका ने इससे पूर्व चीन की सेना पर रूस से हथियार और रक्षा उपरकण खरीदने के कारण प्रतिबन्ध लगा दिया था। चीन ने इन प्रतिबंधों को तत्काल हटाने की चेतावनी दी थी। अमेरिका ने ईरान पर भी कच्चे तेल का निर्यात करने भी प्रतिबन्ध लगा रखे हैं।