ईरान परमाणु संधी से संबंधित अपने बहुप्रतीक्षित निर्णय की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आधिकारिक घोषणा की, उसके अनुसार अमेरिका ईरान परमाणु संधी से बाहर होगा। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धि के रूप में देखें जाने वाले इस संधि को ट्रम्प ने खराब और कालबाह्य बताते हुए संधि की त्रुटियों को उजागर किया।
अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिका को ईरान परमाणु संधी से अलग किया। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, “ईरान को आतंकवाद का समर्थक हैं, वे(ईरान) जल्द ही परमाणु शक्ति प्राप्त कर लेंगे इसीलिए अमेरिका इस परमाणु संधी से अलग हो रहा है।”
आपको बतादे, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने चुनावी अभियान से ही ईरान परमाणु संधी के विरोध में थें। पिछले दिनों फ़्रांसिसी राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन और जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात कर चुके हैं। इस मुलाकात में दोनों यूरोपीय नेता डोनाल्ड ट्रम्प की राय बदलने की असफल कोशिश कर चुके हैं। फ्रांस, यूरोपियन यूनियन, रूस, जर्मनी, चीन इस परमाणु संधी के सदस्य हैं और वे नहीं चाहते की यह संधी असफल हो।
अपने मित्र देशों की राय से हटकर अमेरिका द्वारा ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध फिरसे लगाए जाएंगे, इन प्रतिबंधों को ईरान परमाणु संधी के 2015 में कार्यान्वित होने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में हटाया गया था।
अमेरिका के इस संधि से हटने के बाद अपने बयान में ईरानी राष्ट्रपति हसन रौहानी ने कहा, “अमेरिका अपने किये हुए वादे नहीं निभाता यह इस बात से साबित हो चूका हैं। मैंने एटॉमिक एनर्जी आर्गेनाइजेशन ऑफ़ ईरान (ईरान एटमी अनुसंधान) को परमाणु हथियार विकसित करने के दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं।”
ईरान परमाणु संधी और अमेरिका
- ईरान परमाणु संधी, ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य और जर्मनी के बीच हुआ था, इस संधी के अनुसार ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने पर सहमत हुआ था।
- ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगने पर अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपियन यूनियन द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधो को उठाया गया था।
- इस परमाणु संधी के अंतर्गत, ईरान परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक अपने युरेनियम के भंडार को 98 प्रतिशत कम करने के लिए राजी हुआ था और ईरान के परमाणु उर्जा केंद्रो की निरक्षण की जिम्मेदारी अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा संगठन को दी गयी थी।
- ईरान परमाणु संधी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और ईरानी विदेश मंत्री दोनों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
ईरानी राष्ट्रपति हसन रौहानी द्वारा जारी बयान में उन्होंने कहा की वे आनेवाले दिनों में संधी के अन्य देशों से बातचीत करेंगे और आगे का रास्ता तय करेंगे, इसी बीच अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने ईरान परमाणु संधी का बचाव किया हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने डोनाल्ड ट्रम्प को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, अपने फेसबुक पोस्ट में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा यह परमाणु संधी अमेरिका के हित में थी और इस संधी से अलग होना अपने मित्र देशों के साथ किया गया विश्वासघात होगा। इस संधी को कार्यान्वित करने में लगे अमेरिका के सारे प्रयत्न व्यर्थ होंगे।
अपने पोस्ट में ओबामा कहते हैं, “इस समय जब अमेरिका उत्तरी कोरिया को परमाणु मुक्त कराने में लगा हुआ हैं, अमेरिका के ईरान संधी से हटने से उत्तरी कोरियाई नेतृत्व भी इससे चिंताग्रत होने की उम्मीद है।”
अमेरिकन ट्रेज़री डिपार्टमेंट के अनुसार आर्थिक प्रतिबंधों को जल्द लागु किया जाएगा, ईरान में कार्यरत विदेशी कंपनियों के लिए 6 महीनों का वक्त दिया गया हैं, अगर वे अपनी कंपनियों बंद नही करते को उन्हें भी प्रतिबंधों से जुड़े परिणामों को भुगतना पड़ सकता हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले की इजराइल और सऊदी अरब जैसे देशों ने तारीफ की। अमेरिकी सरकार के इस फैसले की दखल उत्तर कोरियाई सरकार भी लेगी इसमें कोई शंका नहीं हैं। उम्मीद हैं ईरान परमाणु संधी के बाकि देश इस संधी को बने रखेंगे।