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    विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के करीब 3 साल बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत फिर करवट ले सकती है। राज्य से जुड़े मसलों पर अंदरखाने हाईलेवल मीटिंग्स का दौर चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुला सकते हैं। इसके लिए सभी दलों को सूचना भेज दी गई है। फिलहाल, औपचारिक तौर पर इसकी जानकारी साझा नहीं की गई है।

    सूत्रों के मुताबिक, इसमें जम्मू-कश्मीर में चल रहे राजनीतिक गतिरोध के अलावा केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने संबंधी विषयों पर चर्चा हो सकती है। बैठक में जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी चर्चा की उम्मीद है।

    राज्य में चुनाव 2018 से लंबित हैं। तब महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और भाजपा का गठबंधन टूट गया था। इस बीच, गुपकार समूह ने भी केंद्र सरकार से बातचीत को लेकर नरम रुख के संकेत दिए थे।

    शाह ने की हाई लेवल मीटिंग, मनोज सिन्हा से भी मिले

    इससे पहले अमित शाह ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय में एक हाईलेवल मीटिंग की है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, होम सेक्रेटरी अजय भल्ला, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख सामंत कुमार गोयल, सीआरपीऍफ़ के डायरेक्टर जनरल कुलदीप सिंह और जम्मू और कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह शामिल हुए।

    इस मीटिंग से पहले अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात की थी। दोनों बैठकों को जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।

    जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष बुखारी ने कहा, अगर ऐसी कोई बातचीत होती है तो मैं इसका स्वागत करता हूं। यह मार्च 2020 की हमारी स्थिति की पुष्टि करता है, जब हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर के लिए लोकतंत्र और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संवाद ही एकमात्र तंत्र है।

    भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई और कांग्रेस भी होंगी भागीदार

    इस बातचीत में भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई और कांग्रेस को भी भागीदार बनाए जाने की उम्मीद है। बातचीत के जरिये जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने की कोशिश होगी।

    परिसीमन आयोग सौंपेगा अपनी रिपोर्ट

    अधिकारियों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के संसद में पारित होने के तुरंत बाद जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में बना परिसीमन आयोग अपने काम में तेजी लाएगा और अपनी रिपोर्ट जल्द सौंपेगा। आयोग को फरवरी 2020 में स्थापित किया गया था और इस वर्ष मार्च में एक वर्ष का विस्तार दिया गया है।

    अगस्त 2019 में खत्म हुआ था अनुच्छेद 370

    बता दें कि अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में भी विभाजित किया गया था। इस फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत कई बड़े नेताओं को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। हालांकि,महीनों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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