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    पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह

    पंजाब में 19 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल और नेता तैयारी के साथ प्रचार अभियान में कूद गए हैं, जबकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपने ‘मिशन-13’ अभियान को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं।

    मार्च 2017 में 117 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीटों पर जोरदार जीत के अगुवा अमरिंदर अब लोकसभा चुनाव में भी अपनी और अपनी कांग्रेस पार्टी की स्थिति को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं।

    अमरिंदर ने आईएएनएस से कहा, “हम इस बार राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर मैदान में हैं। हमें कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले 180 नेताओं के आवेदन मिले हैं।”

    उन्हें लगता है कि राज्य में कांग्रेस बहुत अच्छी स्थिति में है और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल-भाजपा का गठबंधन व आम आदमी पार्टी उतनी ही बुरी स्थिति में हैं।

    मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी को भी लगता है कि अकाली दल या आप से किसी तरह का खतरा है। दोनों ही दल विभाजित हैं और कोई भी स्पष्ट नेतृत्व इनको नजर नहीं आ रहा। यह एक दिशाहीन जहाज है, कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं, कोई मुद्दा नहीं और पंजाब की जनता को देने के लिए इनके पास कुछ नहीं है। लोग दो साल पहले इन दोनों दलों को नकार चुके हैं। तब से यह दोनों दल और नीचे गए हैं और इनके फिर से उठने की जल्द कोई संभावना भी नहीं दिख रही है।”

    अकाली दल और आप के सभी बड़े नेता जोरशोर से प्रचार में लगे हैं जबकि अमरिंदर को अभी भी बड़े स्तर पर प्रचार शुरू करना है। यहां तक कि हाल में गठित दलों-समूहों जैसे पूर्व आप नेता सुखपाल सिंह खैरा की नवगठित पंजाब एकता पार्टी और फिर इसके साथ छह अन्य दलों के गठबंधन से बने पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस, अकाली दल (टकसाली) के रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा और लोक इंसाफ पार्टी के बैंस बंधुओं ने भी पूरे पंजाब में चुनाव अभियान चलाया हुआ है।

    पार्टी के लोगों का कहना है कि अगले कुछ दिन में मुख्यमंत्री प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे।

    बेहबल कलां और कोटकापुरा फायरिंग के मामले और 2015 के धर्म ग्रंथ की बेअदबी के मामले एक बार फिर अकाली दल को परेशान करने लौट आए हैं। पंजाब में धार्मिक मुद्दे संवेदनशील माने जाते हैं और यहां सिख कट्टरपंथी अकाली दल को निशाने पर ले रहे हैं।

    बीते दो साल में आप के कई नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ चुके हैं। पार्टी अभी भी खुद को एकजुट करने में ही लगी हुई है।

    2014 के आम चुनाव में अकाली दल और आप ने चार-चार सीटें जीती थीं। दो सीट अकाली दल सहयोगी भाजपा को मिली थी। कांग्रेस को केवल तीन सीट मिली थीं। हालांकि तब की मोदी लहर में भी अमरिंदर सिंह ने भाजपा के महत्वपूर्ण नेता अरुण जेटली को अमृतसर सीट पर एक लाख से अधिक मतों से हराया था।

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