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    इथोपिया के प्रधानमन्त्री

    इथोपिया के प्रधानमन्त्री अबी अहमद अली को देश के चिर प्रतिद्वंदी इरीट्रिया के साथ संघर्ष का समाधान करने के लिए  नोबेल शान्ति पुरूस्कार से नवाजा गया है। नोबेल परिषद् ने कहा कि “अबी को शान्ति हासिल करने के लिए उनके प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए नवाजा गया है और साथ ही पड़ोसी इरीट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने के लिए निर्णायक पहल के लिए इस पुरूस्कार से नवाजा गया है।”

    वह अप्रैल 2018 में इथोपिया के प्रधानमन्त्री पद पर विराजमान हुए थे। 43 वर्षीय पीएम की नीतियाँ आक्रमक है जिनमे देश के समाज को ऊपर ले जाने और सीमा के पार गतिविद्या को आकार देने के लिए जाना जाता है। शपथ लेने के सिर्फ छ महीने बाद ही अबी ने अपने चिर प्रतिद्वंदी इरीट्रिया के साथ शान्ति हासिल कर ली थी और निर्वासित हथियारबंद समूहों का स्वागत किया था जिसने पूर्ववती सरकार ने आतंकवादी करार दिया था।

    इथोपिया में चुनावो का आयोजन अगले साल मई में होगा लेकिन जानकारों के अनुसार उनकी नीतियाँ कागी राजनीतिक लिहाज से काफी तेज है और देश के क्रोधित युवाओं के लिए काफी धीमी है। इन्ही युवाओं के प्रदर्शन के कारण अली सत्ता पर काबिज हो सके थे।

    अबी के दोस्त और कारोबारी तर्क सब्त ने कहा कि “एक चीज जो उनके जहन में बस गयी वे प्रधानमन्त्री से मिले थे। मैंने अपने दोस्तों से हमेशा कहा था जब यह लड़का सत्ता में आएगा तो आप इथोपिया में काफी परिवर्तनों को देखेंगे।”

    अबी पश्चिमी शहर के बेशाषा में एक मुस्लिम पिता और ईसाई मां के घर पैदा हुए थे और वह घर में जमीन पर सोते थे और घर में बिजली और पानी का अभाव था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि “हम नदियों से पानिनिकालकर लाते थे। उन्होएँ सातवी जमात तक बिजली और सडको को नहीं देखा था।”

    अबी ने बहुत जल्द सत्ताधारी गठबंधन द्वारा निर्मित सत्ता के ढांचों पर तरक्की की सिधिया चढ़ी थी। किशोरावस्था में उन्होंने सेना में एक रेडियो ऑपरेटर के तौर पर कार्य किया था और वह तकनीक पसंद हिया। सरकार में शामिल होने से पहले  लेफ्टिनेंट कर्नल थे। वह इथोपिया के साइबर संगठन के संस्थापक प्रमुख थे। इसके बाद वह राजधानी अददिस अब्बा में एक मंत्री बने और उन्होंने अपने गृह नगर ओरोमिया में पार्टी के अधिकारी का कार्यभार संभाला था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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