अफ्रीका में रूस लगातार सैन्य प्रभुत्व में बढ़ावा कर रहे हैं और इससे पश्चिमी देशों में चिंता का माहौल उत्पन्न हो रहा है। रूस निरंकुश शासकों और अस्थिर देशों को हथियार निर्यात, सुरक्षा समझौते और प्रशिक्षण कार्यक्रम मुहैया करता है। मध्य अफ्रीकी गणराज्य में एक रुसी को राष्ट्रपति का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था।
सरकार ने हीरे और सोने के खनन का अधिकार दिया है और इसके बदले देशों को रुसी प्रशिक्षणों को नियुक्त करने और मास्को से हथियार खरीदने की मांग की है। लीबिया के पूर्व जनरल की सरकार पर नियंत्रण और व्यापक तेल बाजार पर अधिकार के लिए रूस उनकी मदद कर रहा है ताकि नाटो की दक्षिणी दिशा में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिशों में जुटा है।
सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर ने जनवरी ने राष्ट्र में हो रहे प्रदर्शनों को कुचलने के लिए रूस से मशीनरी खरीदी थी। अप्रैल 2018 में माली, निगार, चाड, बुर्किना और मॉरिटानिया ने मास्को से अपनी अधिक शुल्क वाली सेना और सुरक्षा सर्विसेज की मदद करने की अपील की थी ताकि आतंकी समूह अल कायदा और इस्लामिक स्टेट को मात की जा सके।
रूस ने पूर्वी-पश्चिमी दुश्मनी में शीत युद्ध के दौरान अफ्रीका में प्रवेश किया था। बीते दो वर्षों में सोवियत संघ के दौरान मित्र देशों के साथ रूस ने अपने सम्बन्ध मधुर किये हैं और नए देशों के साथ संबंधों को सुधारा है। इस वर्ष में मास्को और अफ्रीकी राष्ट्रों के मध्य आयोजित सम्मेलन की मष्बणै राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करेंगे।
अमेरिका के पेंटागन के अफ्रीकी कमांडर थॉमस वाल्डहाउसर ने मार्च में कांग्रेस से कहा कि “रूस एक उभरती हुई चुनौती है और अफ्रीका में अधिक सैन्य दृष्टिकोण बढ़ा रहा है। साल 2018 में तीन रुसी पत्रकारों का अज्ञात हमलावरों ने सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक ने हत्या कर दी थी।
वह पत्रकार वाग्नेर ग्रुप की गतिविधियों की तफ्तीश कर रहे थे। यह समूह पूर्व रुसी ख़ुफ़िया अधिकारी द्वारा स्थापित प्राइवेट मिलिट्री फाॅर्स हैं और इसके ताल्लुक रुसी राष्ट्रपति से थे। ट्रम्प प्रशासन के दौरान पेंटागन ने वैश्विक खतरों से फोकस हटाकर चीन और रूस की तरफ कर दिया था और लड़ने से हटा दिया था।