अफगानिस्तान ने रविवार को एक ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा की कि वह इस माह के अंत तक अपने प्रतिनिधियों की टीम को क़तर भेजेगा और वे तालिबान के साथ शान्ति वार्ता के लिए मुलाकात करेंगे। तालिबान शान्ति वार्ता की शुरुआत से अफगान सरकार से बातचीत के लिए इंकार कर रहा है और उसे अमेरिका की कठपुतली कहता है।
राष्ट्रपति के विशेष राजदूत मोहम्मद उमेर दौडजाइ ने कहा कि “अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हुए एक सामरिक आधिकारिक प्रतिनिधि दल क़तर में मुलाकात करेंगे।”
तालिबान द्वारा इस माल्स पर अभी जानकारी मुहैया करना शेष है। अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने अफगानिस्तान शान्ति प्रक्रिया के लिए हाल ही में कई देशों की यात्रा की थी और काबुल व तालिबान के बीच ठप पड़ी बातचीत को बहाल करने की कोशिश की थी।
क़तर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच कई बात बैठकों का आयोजन हो चुका है। इस वार्ता का मकसद दो वर्षो से जारी विवाद को खत्म करना है। हालाँकि अभी अगले स्तर की बातचीत के लिए कोई तारीख निश्चित नहीं की गयी है, इस माह के अंत में तारीख का ऐलान किया जा सकता है।
बीते माह अफगानिस्तान के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर अब्दुल्लाह ने कहा कि ” जंग से जूझ रहे देश में शान्ति तक पंहुचने के लिए तालिबान एक बाधा है। वार्ता को रद्द करने के तालिबान भी वार्ता टीम बचाव कर सकती है।”
टोलो न्यूज़ ने अब्दुल्लाह के हवाले से कहा कि “शान्ति की तरफ पहला कदम बढ़ाने में तालिबान एक बाधा है क्योंकि अफगानिस्तान सरकार से बातचीत न करने का उनके पास एक बहाना है इसलिए मैं कह रहा हूँ कि शान्ति प्रक्रिया तक पंहुचने में तालिबान एक बाधा है।”
फरवरी में रूस ने अफगान शान्ति वार्ता की मेज़बानी की थी जिसमे कई तालिबानी सदस्यों को आमंत्रित किया गया था हालाँकि अफगानिस्तान को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया था। मास्को की वार्ता को अफगानिस्तान सरकार ने अफगानी नेतृत्व और शान्ति प्रक्रिया की भावनाओ के खिलाफ बताया था।
उज़्बेकिस्तान नें की थी कोशिश
कतर से पहले हाल ही उज्बेकिस्तान नें भी शिफारिश की थी कि वह तालिबान और अफगानिस्तान की इस बातचीत में जरिया बन सकता है।
जाहिर है हाल ही में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी नें उज़्बेकिस्तान का दौरा किया था और ख़बरों के मुताबिक उन्होनें उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री अब्दुल अज़ीज़ कमीलोव से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की और तालिबान और अफगान सरकार के बीच शान्ति वार्ता की मेज़बानी करने का प्रस्ताव दिया था।
टोलो न्यूज़ के मुताबिक उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री कमीलोव ने कहा था कि “अगर तालिबान सीधे तौर पर अफगान सरकार से बातचीत को तैयार है तो उज़्बेकिस्तान इसकी मेज़बानी करने के लिए तैयार है।”
अशरफ गनी से मुलाकात के दौरान कमीलोव ने अफगान नेतृत्व और अफगान नियंत्रित शान्ति प्रक्रिया को उज़्बेकिस्तान का समर्थन देने की प्रतिक्रिया को दोहराया था।