समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को भाजपा को लताड़ लगाते हुए कहा कि उनके नेता सपा-बसपा गठबंधन बनने से हताश हैं और इसलिए विपक्षी नेताओं पर ऐसी अपमानजनक टिपण्णी कर रहे हैं। वे बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ की गयी भाजपा सांसद साधना सिंह की टिपण्णी की निंदा कर रहे थे।
उनके मुताबिक, “एक ऐसी पार्टी की सदस्य जिसे लगता है कि एक वही हैं जो भारतीय संस्कृति का प्रचार कर सकती है, उन्होंने ऐसी अभ्रद भाषा का इस्तेमाल किया है। उन्ही सांसद ने पहले सपा के ऊपर भी बाते की है जो इंटरनेट पर उपलब्ध है।”
“देखिये कि गठबंधन के बाद वे कितने निराश और बेचैन हैं। देखिये कि उनके सांसद ने मायावती जी के खिलाफ किस प्रकार का अपमानजनक बयां दिया है। ये ऐसी भाषा है जो ऊपर के नेता भी बोलते हैं। कोई ऐसे कैसे बोल सकता है? वे लोग हताश हैं क्योंकि पिछले साढ़े चार सालों में उन्होंने कुछ नहीं किया।”
उन्होंने आगे कहा कि जनता अब भाजपा के छल का जवाब देगी। उन्होंने कहा-“जिनकी ‘ठोको’ नीति थी, अब वे भारत पर ‘डंका’ होने का दावा कर रहे हैं, कह रहे हैं कि देश को वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता मिल रही है, जबकि आकड़े बता रहे हैं कि भारत भूखमरी, बेरोजगारी और बीमारी के मामले में सबसे आगे है।”
प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने, एक छोटी पिछड़ी पार्टी-पिछड़ा समाज स्वाभिमान पार्टी (PSSP) का सपा में स्वागत किया। PSSP अध्यक्ष डॉक्टर वीके सिंह यादव अपने कैडर के साथ, लखनऊ में अखिलेश और वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति के सामने सपा में मिल गए। सपा के राज्य अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने वीके यादव को पार्टी की लाल टोपी भी पहनाई।
जब अखिलेश से महागठबंधन के प्रधानमंत्री के चेहरे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला जनता करेगी। उनके मुताबिक, “हमारे पास बहुत सारे विकल्प हैं। ये मिलकर चुनाव के बाद तय किया जाएगा। राष्ट्र को नया पीएम चाहिए। नयी सरकार का नया पीएम, देश के सभी मुद्दों पर ध्यान देगा।”
जब सवाल सपा-बसपा गठबंधन के सीट-बटवारे के ऊपर आया तो उन्होंने कहा कि इसकी जल्द घोषणा होगी। जब उनसे रालोद को दी गयी सीट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल का सीधा जवाब ना देते हुए कहा कि हर भागीदार खुश होगा क्योंकि ऐसे ही सीटों का बटवारा किया गया है।
अखिलेश ने जाटों को भी शुभकामनाएं दी जिन्होंने हाल ही में भाजपा को समर्थन ना देने की घोषणा की थी।
योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा निराश्रित श्रेणी में आने वाले संत और साध्वियों को पेंशन देने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने चुटकी लेते हुए कहा-“साधु-संतों की पेंशन 20,000 रुपये होनी चाहिए।”