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    उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन

    अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर मानव अधिकार उल्लंघन का बयान जारी किया था। उत्तर कोरिया ने शनिवार को सख्ती से वांशिगटन के इस बयान की निंदा की और दावा किया कि “यह कुछ नहीं बल्कि एक कुतर्क है और पियोंगयांग की छवि को कलंकित करने की कोशिश है।”

    मानवधिकार उल्लंघन

    कोरियाई सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी ने कहा कि “अमेरिका के राज्य विभाग का बयान एक कुतर्क है और झूठ और जालसाजी है इसका इस्तेमाल राजनीतिक मंसूबो के लिए किया जा रहा है ताकि उत्तर कोरिया की छवि को धूमिल किया जा सके।” 6 मई को राज्य विभाग ने “नार्थ कोरिया फ्रीडम वीक” में उत्तर कोरिया के मानव अधिकार मामले पर एक रिपोर्ट जारी की  थी। यह जश्न हर वर्ष अप्रैल के आखिरी हफ्ते में आयोजित किया जाता है।”

    अमेरिकी राज्य विभाग ने कहा कि “दशकों से उत्तर कोरिया की सरकार ने मानव अधिकार और मूल स्वतंत्रताओ का भयंकर उल्लंघन किया है। करीब 100000 व्यक्तियों को राजनीतिक कैद्गृह शिविरों में रखा गया है और कैदियों के परिवार व बच्चे परिस्थितियों से जूझ रहे हैं।”

    उन्होंने कहा कि “जो इस क्रूर वातावरण से निकलने की कोशिश करता है और पकड़ा जाता है, उसे प्रताड़ित किया जाता है या उसकी हत्या कर दी जाती है। हम इस अत्याचार से बेहद चिंतित और गंभीर है। जागरूकता बढ़ाने, अत्याचारों को रेखांकित करने, उल्लंघन, निष्पक्ष सूचना तक पंहुच में विस्तार और उत्तर कोरिया में मानवधिकार के सम्मान का प्रचार करने के लिए हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ कार्य करना जारी रखेंगे।”

    अमेरिका की चाल

    इसके प्रतिकार में उत्तर कोरिया ने कहा कि “अमेरिका हमारे साथ द्विपक्षीय सम्बन्धो में सुधार करना नहीं चाहता है और कम्युनिस्ट राष्ट्र पर मानव अधिकार उल्लंघन का लेबल चस्पा कर सरकार को उखाड़कर फेंकना चाहता है। अमेरिकी राज्य विभाग के हालिया बयान स्पष्ट सबूत है कि मौजूदा प्रशासन पूर्ववर्ती अमेरिका सरकार की तरह उत्तर कोरिया के साथ शत्रुतापूर्ण नीति के पद्चिन्हो पर चल रहा है।”

    उन्होंने कहा कि “उत्तर कोरिया को दबाने के लिए बचकाना और मूर्खतापूर्ण प्रयासों से हम पर अधिकतम दबाव बनाना है और हमारी प्रणाली को नष्ट करना है। अमेरिका को दिमाग में बैठा लेना चाहिए कि यह प्रयास हमारे खिलाफ कार्य नहीं करेंगे लेकिन हमें उस दिशा की तरफ अग्रसर होने पर जरूर मज़बूर कर देंगे जहां अमेरिका हमें देखना नहीं चाहता हैं।”

    प्रतिबंधों से आजादी के बाबत अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत ठप पड़ी हुई है। उत्तर कोरिया परमाणु निरस्त्रीकरण की तरफ कदम बढ़ाने के बदले प्रतिबंधों से रिआयत चाहता है जबकि अमेरिका के अनुसार जब तक पियोंगयांग पूर्ण और निरीक्षित परमाणु निरस्त्रीयकरण नहीं कर देता, प्रतिबंधों से निजात नहीं दिया जायेगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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