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    भारत की रेटिंग में सुधार

    क्रेडिट रेटिंग देने वाली अमेरिका की ग्लोबल संस्था मूडीज ने भारत की रेटिंग में सुधार कर उसे ‘बीएए3’ से ‘बीएए2’ कर दिया है। आप को जानकारी के लिए बता देंं कि मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेंटिंग में सुधार किया है। इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बयान दिया है कि हालिया आ​​र्थिक सुधारों को लागू करने के बाद मूडीज ने भारत की रेटिंग में सुधार किया है।

    उन्होंने कहा कि मू​डीज की ओर से क्रेडिट रेंटिंग में किया जाने वाला सुधार भारत के पक्ष में महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है, ऐसे में इस क्रेडिट रेंटिंग पर लोग राजनीतिक टिप्पणीयां ना करें, तो बेहतर होगा। भारत के पक्ष में दिखने वाले इन 8 प्रमुख आर्थिक सुधारों के चलते मूडीज ने भारत की रेटिंग में जबरदस्त सुधार किया है।

    1. ब्रिक्स और आसियान में भारत का बढ़ता प्रभाव

    भारत अपने सिद्धांतों और मजबूत आर्थिक सुधारों के साथ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
    आईएमएफ वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक, अक्टूबर 2017 के अनुसार, साल 2018 में जीडीपी विकास दर मामले में भारत अपने ब्रिक्स और आसियान समकक्षों चीन, इंडोनेशिया और मलेशिया को पीछे छोड़ देगा।

    अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के बावजूद भारत को कम मुद्रास्फीति और कम ब्याज दरों के एक स्थिर व्यापक आर्थिक माहौल ने लाभान्वित किया। कम ब्याज दर और महंगाई ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था छोटे पहलूओं जैसे नोटबंदी,जीएसटी आदि से अप्रभावित रही।

    2. 8-10 फीसदी जीडीपी विकास दर की ओर बढ़ने में स्ट्रक्चरल सुधार

    मूडीज ने उम्मीद जताई है कि मार्च 2018 में भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर 6.7 फीसदी तक आ जाएगी। जबकि आईएमएफ के मुताबिक, 2017 के अनुमानित 6.7 फीसदी की तुलना में साल 2018 में भारत की जीडीपी बढ़कर 7.4 फीसदी हो जाएगी। आईएमएफ ने भारत को 2022 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में घोषित किया है, वहीं आईएमएफ ने शीर्ष पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से ब्रिटेन को स्थानांतरित कर दिया है।

    3. क्रय क्षमता और प्रति व्यक्ति आय में बृद्धि

    केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, भारत की प्रति ​व्यक्ति आय 2016 के वित्तीय वर्ष में 1,419 डॉलर थी जो साल 2017 में 10.4 फीसदी बढ़कर से 1,440 डॉलर हो गई। आपको बता दें कि बढ़ती क्रय क्षमता और डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय उपभोक्ताओं को और अधिक खर्च करने में सक्षम बनाया। सीएजीआर ने उम्मीद जताई है कि भारत का निजी खपत व्यय साल 2022 तक 2 खरब डॉलर हो जाएगी।

    क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का कुल घरेलू संपदा 5 लाख करोड़ रुपये है, जबकि देश में 245,000 करोड़पति हैं। साल 2022 में देश की घरेलू आय में 7.5 प्रतिशत की दर से सालाना वृद्धि होगी जिससे अल्ट्रा-नेटवर्थ अमीरों की संख्या 372,000 तक पहुंच जाएगी।

    4. स्थिर मुद्रास्फीति

    भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2016 में अपनी क्रेडिट और मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान पॉलिसी रेट को अपरिवर्तित रखा। वहीं वित्तीय सेवा कंपनी मोर्गन स्टेनली ने अपने एक रिसर्च पेपर में लिखा है कि ‘मुद्रास्फीति की मुख्य दर में तेजी है और मुद्रास्फीति के दीर्घ कालिक रूझान के स्थिर बने रहने से हमे नहीं लगता है कि रिजर्व बैंक दिंसबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा में दरों में कमी करेगा।’

    5. भारतीय निर्यात मेें बृद्धि

    साल 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2017 में भारत का निर्यात 4.7 फीसदी बढ़कर 262.3 अरब डॉलर से 274.7 अरब डॉलर हो गया, यह पांच साल में अब तक की सबसे तेज़ गति है। भारत ने जिन देशों में सबसे ज्यादा निर्यात किया उनमें यूएस., यूएई, हांगकांग, चीन और ब्रिटेन का नाम शामिल है। वहीं वित्तीय साल 2016 और 2017 में भारतीय आयात में कमी देखी गई।

    6. रूपए की मजबूती के चलते विदेशी निवेश में वृद्धि

    जहां साल 2016 में विदेशी मुद्रा भंडार 372 अरब डॉलर रहा, वहीं 6 अक्टूबर, 2017 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 398 अरब डॉलर हो गया। विदेशी निवेशकर्ता उच्च वास्तविक ब्याज दरों और रूपए की मजबूत स्थिति का जमकर लाभ उठा रहे हैं। सितंबर 2017 तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपए में 6 फीसदी की मजबूती देखने को मिली।

    7. निवेश के माहौल में सुधार

    सरकार की अनुकूल नीतियों और मजबूत कारोबारी माहौल के कारण, वित्त वर्ष 2013 के बाद से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगातार इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष 2011 में एफडीआई प्रवाह 60.1 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि वर्तमान सरकार ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करने के लिए वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के नियमों को अनूकूल बनाया।

    8. निर्माण सेक्टर में सुधार

    भारत के कन्सट्रक्शन सेक्टर को कृषि के बाद देश का दूसरा सबसे बड़े नियोक्ता और आर्थिक सहयोगकर्ता माना जाता है। निर्माण सेक्टर देश के करीब 35 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है। कॉन्सट्रक्शन सेक्टर ने पिछले पांच सालों में देश की जीडीपी में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान दिया है।

    इंडियन कॉन्सट्रक्शन उद्योग में साल दर साल बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। आप को बता दें कि वित्तीय साल 2016 में कॉन्सट्रक्शन इंडस्ट्री 161 अरब डॉलर थी जो साल 2017 में बढ़कर 176 अरब डालर हो गई। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2016 से 2021 के बीच कॉन्सट्रक्शन इंडस्ट्री 263 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी।