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    मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट

    इंडियन इकॉनोमी की क्रेडिट रेटिंग को लेकर मूडीज, एस एंड पी और फिच की हालिया रिपोर्टों में यह बात समान रूप से देखने को मिली कि देश की अर्थव्यवस्था आगामी दो सालों में पटरी पर तेजी से लौटेगी। लेकिन आज ग्लोबल वित्तीय फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट से देश के अर्थशास्त्रियों में तहलका मचा दिया है।

    मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद से आर्थिक विकास में कुछ महीनों के लिए बाधा आई थी, लेकिन भारत की वित्तीय प्रणाली अब धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। स्टेनली ने अपने शोध रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट वर्ष 2017 के 6.3 फीसदी मुकाबले साल 2018 में बढ़कर 7.5 फीसदी तथा 2019 में 7.7 फीसदी रहने की संभावना है।

    रिपोर्ट के अनुसार, यह आर्थिक बदलाव भारत में लागू दो संरचनात्मक सुधारों विमुद्रीकरण (नोटबंदी) और जीएसटी के चलते देखने को मिल रहा है।  टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट से यह साबित हो रहा है कि निजी पूंजीगत व्यय में सुधार होने की पूरी संभावना है, तथा मजबूत वित्तीय प्रणाली के चलते खपत और निर्यात में तेजी आ रही है। जिसके चलते निजी कंपनियों के राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

    जीएसटी लांचिंग और पीएम मोदी

    गौरतलब है कि अभी पिछले महीने अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट में सुधार किया। आप को बता दें कि पिछले पांच तिमाहियों के दौरान भारत की विकास दर बिल्कुल धीमी रही, लेकिन जुलाई-सितंबर में जीडीपी ग्रोथ रेट का यह आंकड़ा 6.3 फीसदी के पार पहुंच चुका है।

    जबकि पिछली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 फीसदी थी। जीएसटी लागू किए जाने के बाद से विनिर्माण क्षेत्र में आई गिरावट के कारण आरबीआई ने अपनी पिछली समीक्षा नीति में वित्तीय वर्ष 2017-18 के जीडीपी विकास लक्ष्य को 7.3 फीसदी को घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया था।

    भारत अर्थव्यवस्था के हालिया जीडीपी ग्रोथ रेट से उत्साहित होकर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मीडियाकर्मियों से रूबरू होते हुए कहा कि सरकार ने जीएसटी और विमुद्रीकरण के रूप में दो बड़े सरंचनात्मक सुधार किए, जिसका सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है। हम उम्मीद करते हैं आने वाली तिमाहियों में जीडीपी रेट में और ज्यादा इजाफा देखने को​ मिलेगा।

    रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक के बाद नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। जबकि दूसरी छमाही यानि मार्च 2018 तक मुद्रास्फति 4.3 से 4.6 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है।

    आपको जानकारी के लिए बता दें अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर 3.58 फीसदी के पार पहुंच चुकी है। जिसके चलते खाद्य उत्पाद तथा ईंधन की कीमतें पिछले सात महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर हैं।