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    भारत के रक्षा मंत्रीनिर्मला सीतारमण के साथ

    बांग्लादेश की सरकार ने रविवार को विजय दिवस के मौके पर साल 1971 के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर वीरों को सम्मान से नवाज़ा है। सेना के पूर्वी कमान के जेओसी इन सी, लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नर्वाने ने बांग्लादेश की सरकार द्वारा शहीदों के परिवारजनों को सम्मान दिए जाने को दोनों राष्ट्रों के लिए एक पहल बताई है। उन्होंने कहा कि शहीदों को सम्मानित करना आगे भी जारी रहेगा और यह दोनों देशों के रिश्तों को मज़बूत करेगा।

    उन्होंने कहा कि इस जंग में कूदने के लिए हमारे साथ जबरदस्ती की गयी, क्योंकि एक बहुत विशाल मानवीय संकट खड़ा हो गया था।  उन्होंने कहा कि इसका नतीजा बांग्लादेश के जन्म के रूप में सामने आया था। उन्होंने कहा कि बामुश्किल ही ऐसा हुआ है, जब दो देशों की जंग का परिणाम एक तीसरे देश के रूप में मिला हो।

    बांग्लादेश की सरकार ने 1600 से अधिक सैनिकों को सम्मानित करने का फैसला किया है। जिन्होंने साल 1971 में हुई भारत और पाकिस्तान के बीच जंग में अपने प्राण त्याग दिए थे। पकिस्ता पर भारत की अटल जीत और बंलादेश के निर्माण के कारण इस दिन को बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।

    बांग्लादेश के मंत्री ए के एमएम हक़ ने उर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम में भारतीय सी के सात, वायुसेना के दो और ब्नौसेना के एक कर्मी को सम्मान से नवाज़ा था। इससे पूर्व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए विजय स्मारक पर पुष्प अर्पित किये गए थे।

    मंत्री ने कहा कि पूर्वी इलाके के शहीद सैनिकों को सम्मानित करने की शुरुआत साल 2017 में हुई थी। जब प्रधानमन्त्री ने शहीद के परिवारों को सम्मानित पट्टिकाएं दी थी। बंगलादेशी प्रनिधिमंडल में 30 सैनिक थे, जिन्होंने इस जंग में हिस्सा भी लिया था। इसमें बंगलादेशी सेना के छह अधिकारी भी शामिल है।

    पुष्प अर्पित करने के बाद वायुसेना के चार विमानों ने विजय स्मारक की उड़ान भरी थी और विमान से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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