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    डोनाल्ड ट्रम्प

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि “तालिबान के साथ वार्ता की मृत्यु हो चुकी है और संकेत दिया कि उन्हें समूह के साथ मुलाकात में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं इस पर चर्चा की तरफ नहीं देख रहा हूँ। मैं किसी पर भी चर्चा नहीं कर रहा हूँ।”

    शनिवार को ट्वीटर पर तालिबान और अफगानी सरकारी नेताओं के साथ कैंप डेविड मुलाकात को समझौते को अंतिम स्वरुप देने की बैठक को रद्द कर दिया था। ट्रम्प के बयान से पहले राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने कहा कि मैं अभी भी आशावादी हूँ कि तालिबान के साथ वार्ता की अभी उम्र है और इसकी दोबारा शुरुआत की जा सकती है।”

    सोमवार को राज्य विभाग के वार्ताकार ज़लमय खलीलजाद सोमवार को वांशिगटन वापस लौट गए हैं ताकि आला अधिकारियो से इस मामले पर चर्चा की जा सके। इस मामले को लेकर अमेरिकी प्रशासन में मतभेद है, पोम्पियो ने वार्ता का समर्थन किया है जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने इसका विरोध किया है।

    एक आला अधिकारी ने कहा कि “पोम्पियो-बोल्टन के बीच तनाव का जिक्र किया था और भविष्वाणी की कि ट्रम्प अभी चाहे जो कहे लेकिन वार्ता अभी मृत्यु से काफू दूर है। जैसे ट्रम्प ने पगले धमकी दी और फिर ईरान और उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की इच्छा जताई, वाही फार्मूला यहाँ फिट किया जा रहा है। राष्ट्रपति तालिबान के साथ समझौते करने के लिए बेहद उत्सुक है।”

    उप राष्ट्रपति माइक पोम्पियो ने ट्रम्प की हाँ में हाँ मिलाई और डेविड कैंप बैठक का विरोध था। ट्रम्प ने दोपहर में ट्वीट कर कहा कि “यह कहानी झूठी है। बेईमान मीडिया ने व्हाइट हाउस में संकट को दिखाने की कोशिश की है जानकी ऐसा कुछ है ही नहीं।” पेन्स ने इस ट्वीट के जवाब में कहा कि “अपने बिल्कुल सही कहा राष्ट्रपति। और फर्जी खबरे।”

    भविष्य में तालिबान और अमेरिका की बातचीत संदेह में हैं। सैन्य अधिकारी वादा नहीं कर रहे हैं कि डील के तहत सैनिको की वापसी की जाएगी। पेंटागन के प्रवक्ता “वहां सैनिको की संख्या पर्याप्त मात्रा में होगी, हमें वहां सुरक्षा मुहैया करने की जरुरत है। हम आतंक रोधी अभियान पर फोकस करने जा रहे हैं और हम उस कारण पर फोकस करेगे जिसकी वजह से हम यहाँ आये थे और यह आतंकी अभियानों को रोकना है और हमले के आतंकी सरजमीं का इस्तेमाल नहीं करने देना है।”

    राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था लेकिन चेतावनी दी कि हमलो में वृद्धि की कोशिशो को भयानक सैन्य जवाब मिलेगा। तालिबान सार्वजानिक बयानों को देने से बचता है और उसके वार्ताकारो का पाकिस्तान के चरमपंथी नेताओं के साथ विचार विमर्श चल रहा है।

    बीते 10 महीनो से खलीलजाद तालिबान के साथ समझौते को मुकम्मल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। 23 सितम्बर को अफगान अधिकारियो और तालिबानी नेताओं की मुलाकात पर सहमती हुई थी, रद्द कर दी गयी है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि गनी और तालिबान को वांशिगटन बुलाने का विचार मेरा था। मुझे मुलाकात का विचार अच्छा लगा। मेरे ख्याल से बैठक सबसे बेहतर है नहीं तो जंग कभी खत्म नहीं होगी।”

    संधि के मुताबिक, अमेरिका को अफगानी सरजमीं से करीब 5000 सैनिको को वापस बुलाना है और इसके बदले तालिबान अलकायदा से अपने सभी संबंधो को तोड़ेगा। बोल्टन ने कहा कि “ट्रम्प तालिबान के सतह बिना किसी समझौते के भी इतने सैनिको को वापस बुला सकते थे। वह अक्टूबर से शुरू हुई वार्ता का निरंतर विरोध कर रहे थे।”

    तालिबान के साथ वार्ता का विरोध कर रहे बोल्टन और अन्यो ने समझौते के बाबत निरंतर सवालों को खड़ा किया है और कहा कि हालिया वर्षों में तालिबान के हमलो के खासी वृद्धि हुई है। राज्य विभाग ने तालिबान के खिलाफ अमेरिकी समर्थित अफगानी सरकार के हमले की तरफ ध्यान आकर्षित किया और अमेरिकी हवाई हमले में भी इजाफा हुआ है।

    कैंप डेविड बैठक को गुप्त रखा गया था और इसके समर्थक और आलोचक इसे बेहद खराब विचार मानते थे। ट्रम्प का विचार था कि वह अलग अलग गनी और तालिबान के नेटों से मुलाकात करेंगे, उन्हें और खुद को संधि के उचित होने की बात से संतुष्ट करेंगे और फिर इसका ऐलान करेंगे।

    ट्रम्प ने अपने सलाहकारों से बगैर मशविरा करे इस मुलाकात एक रद्द करने का ऐलान कर दिया था। तालिबान के हमले में एक अमेरिकी सैनिक की मौत हो गयी थी। उन्होंने कहा कि “आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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