Wed. Apr 24th, 2024
    बलूच नेता

    हाल ही में स्विट्जरलैंड सरकार ने पाकिस्तान से निर्वासित बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती के राजनीतिक शरण की याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल बुगती ने स्विट्जरलैंड में शरण लेने के लिए आवेदन किया हुआ था जिस पर यहां की सरकार ने अब इसे खारिज कर दिया है। आवेदन खारिज होने पर बुगती ने अपना गुस्सा सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर जाहिर किया।

    बुगती ने लिखा कि मैं अब भी पाकिस्तान में मोस्ट वॉन्टेड हूं और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को रिहा ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि पाक की सेना उनकी सुरक्षा भी कर रही है।

    बाद में कहा कि स्विट्जरलैंड में इंतजार के सात साल बाद अब राजनीतिक शरण के लिए मेरा आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है। गौरतलब है कि बुगती ने इससे पहले जनवरी में भारत से शरण देने की मांग की थी। लेकिन बाद में इस आवेदन पर अब तक भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

    अब पाकिस्तान ने जब हाफिज सईद को रिहा कर दिया तो भारत नई चाल अपनाते हुए पाकिस्तान से निर्वासित बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती को अपने देश में राजनीतिक शरण देने की अनुमति दे सकता है।

    बलूचिस्तान आजादी की मुहिम चलाई थी

    दरअसल बुगती पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत के आजादी की मुहिम चला रहे थे। इसके लिए बुगती ने बलूच लोगों के अधिकारों की मांग पाकिस्तान सरकार से की। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने बुगती पर अत्याचार करते हुए उसे मॉस्ट वान्टेड विद्रोही घोषित कर दिया।

    जबकि पाक ने ओसामा बिन लादेन व हाफिज सईद जैसे आतंकियों को संरक्षण देना शुरू कर दिया था। बाद में पाकिस्तान से बाहर चले गए।

    पिछले साल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर भाषण की बुगती ने प्रशंसा की थी जिसके बाद पाक ने उन पर मामला दर्ज किया। इस भाषण में मोदी ने पाकिस्तान पर बलूचिस्तान में मानव अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।

    बुगती के दादा की हत्या पाकिस्तानी सेना ने की

    पाकिस्तान ने पिछले साल सितंबर में बुगती के खिलाफ इंटरपोल के रेड वारंट प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाई थी। ब्रह्मदाग बुगती बलूच रिपब्लिक पार्टी के संस्थापक है, जो पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की मांग कर रही है।

    साल 2006 में ब्रह्मदाग बुगती के दादा की पाकिस्तानी सेना ने कोहलू के एक सैन्य अभ्यास में हत्या कर दी थी। जिसके बाद वह पहले तो अफगानिस्तान भागा।

    बाद में वहां से शरण लेने के लिए भारत के माध्यम से स्विट्जरलैंड गए। बलूचिस्तान की आजादी की मुहिम चलाने पर उन्हें पाकिस्तान ने अलगाववादी घोषित कर रखा है।

    भारत बुगती को शरण दे सकता है

    बुगती ने जनवरी में भारत मे शरण लेने का आवेदन किया था। लेकिन भारत सरकार ने इस आवेदन पर कोई जवाब नहीं दिया व प्रतिक्रिया देने में देरी की। क्योंकि उस समय पाकिस्तान के सेना प्रमुख नए बने थे।

    इसलिए भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक असर देखना चाहते थे। अब नवबंर का महीना आ चुका है लेकिन पाकिस्तान ने आतंकी गतिविधियों की रोकथाम पर कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि अब तो पाकिस्तान की कोर्ट ने आतंकी हाफिज सईद को रिहा तक कर दिया।

    वहीं बुगती ने भारत के पीएम मोदी से उसे भारत में राजनीतिक शरण देने की मांग दोहराई है। बलूच बुगती ने कहा कि भारत दुनिया को बता सकता है कि हम आतंकवादी नहीं है। हम अपने मूल अधिकारों के लिए लड़ रहे है।

    बलूचों का विरोध एक पूरी तरह से शांतिपूर्ण संघर्ष है। भारत सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि हम बलूच लोगों को नैतिक रूप से समर्थन दे क्योंकि आज दुनिया में उनकी बहुत बड़ी आवाज है।