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महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्लाह

सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरियों की सुरक्षा को लेकर डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 राज्यों को एडवाइसरी जारी की है। जिसमें कहा है कि राज्यों में कश्मीरियों के साथ किसी प्रकार का गलत व्यव्हार नहीं होना चाहिए।  साथ ही सरकार इसका ध्यान रखे कि राज्य में ऐसी घटनाओं के बढ़ावा न दिया जाए।

पुलवामा हमले को लेकर सताए जा रहे कश्मीरी छात्रों के बचाव में कोर्ट का फैसला आते ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह औऱ महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है।

“मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई की अध्यक्षता वाली जजों की बेंच ने दिल्ली पुलिस डीएपी, चीफ सेक्रेटरी, कमिश्नर को इस बात का ध्यान रखने को कहा है।” उन्होंने कहा कि “देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिस्सा, बर्बरता व अन्याय नहीं होना चाहिए। इस बात को ध्यान रखें कि ‘कश्मीरी बहिस्कार’ की बात तूल न पकड़े।”

वही पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले के बाद ट्वीट किया कि,”पुलवामा हमले के कारण परेशान या सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे कश्मीरी छात्रों को इस आदेश के बाद राहत मिली। शर्मनाक है कि माननीय न्यायपालिका ने निर्णायक कार्रवाई की जहां दूसरों ने आसानी से आंखें मूंद लीं।”

वहीं कोर्ट के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने सर्वोच्च न्यायालय का आभार प्रकट किया है। लिखा कि,”हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं। उन्होंने वह किया जो देश कि जनता द्वारा चयनित सरकारों को करना चाहिए था। मानव संसाधन कल्याण मंत्री व गवर्नर ने तो अपने हाथ कश्मीरियों से अलग कर लिए थे, धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट का कि उन्होंने मामले में कदम उठाए।”

दस राज्यों में जम्मू-कश्मीर, पं बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छतीसगढ़, मेघालय, पंजाब व महाराष्ट्र शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वकील तारीक अबीब ने देशभर में कश्मीरियों के खिलाफ हो रहे आंतक को रोकने व कश्मीरियों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।  याचिका में उन्होंने गर्वनर तथागत रॉय के ‘कश्मीरी बहिस्कार’ वाले ट्वीट को भी शामिल किया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों को कश्मीरियों की रक्षा का काम दिया जाएगा। यह पूरी तरह उनकी जिम्मेवारी होगी कि राज्य में ऐसी कोई घटना न हो। याचिकाकर्ता ने कहा कि तमाम विश्वविद्धालयों में कश्मीरी छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है, इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।

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