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    सुप्रीम कोर्ट

    गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने “बैलट पेपर” को फिर शुरू करने की मांग को खारिज कर दिया है। दरअसल कांग्रेस और 16 अन्य राजनीतिक पार्टियों ने “बैलट पेपर” को वापस इस्तेमाल में लाने के लिए ‘पीआईएल’ दर्ज़ की थी। उन्होंने कहा था की कि राज्य विधानसभा और 2019 के लोक सभा चुनाव के लिए ‘ईवीएम‘ की जगह “बैलट पेपर” का इस्तेमाल करना चाहिए।

    एडवोकेट एडीएन राव ने चीफ जसटिस रंजन गोगोई और जस्टिस केएम जोसफ और एमआर शाह के सामने “बैलट पेपर” का पक्ष रखते हुए कहा था कि इतनी सारी पार्टी और ख़ासकर सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अगर कह रही है कि ‘ईवीएम’ में गड़बड़ी होने से चुनाव के नतीजे गलत आ सकते हैं तो वे सबकी भलाई के लिए ही तो कह रही होगी। “बैलट पेपर” की वापस मांग करने का फैसला उन्होंने कुछ सोच समझ कर ही लिया होगा ना।

    उन्होंने आगे कहा-“मतदाताओं ने ‘ईवीएम’ के खिलाफ इतना विवाद खड़ा किया था। तब 17 राजनीतिक पार्टी जिसमे सबसे पुरानी पार्टी भी शामिल है, उन्होंने ‘ईवीएम’ की जगह “बैलट पेपर” मंगाने का एक संकल्प पास किया था। पब्लिक को लगता है की चुनाव के नतीजे एक दम सही होने चाहिए इसलिए “बैलट पेपर” को फिर से मंगाने की मांग की जा रही है।”

    इसका जवाब देते हुए बेंच ने कहा-“हम इस ‘पीआईएल’ को क्यों माने। शक तो हमेशा ही रहेगा। क्या जब “बैलट पेपर” था तब लोग शक नहीं करते थे क्या? चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली हर मशीन इंसान बनाता है तो वे किसी भी मशीन को अपने हिसाब से चलने में सक्षम है।”

    उन्होंने आगे कहा कि किसी के शक के कारण वो इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकते।

    हम आपको बता दें कि 5 साल पहले सुब्रमण्यम स्वामी के याचिका दायर पर सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमिशन को ‘ईवीएम’ में ‘वोटर वेरीफाईबल पेपर ऑडिट ट्रेल'(वीवीपीएटी) शुरू करने का आदेश दिया था। लोगो का भरोसा ‘ईवीएम’ में कायम रखने और उसे बढ़ाने के लिए ये फैसला लिया गया था।

    वैसे ये वही यूपीए सरकार है जिसने 2014 के आम चुनाव से पहले औपचारिक तरीके से प्रेस रिलीज़ जारी करवा के ‘ईवीएम’ की जमकर तारीफ करते हुए कहा था की ‘ईवीएम’ के आने से फ़र्ज़ी मतदान बंद हो गए हैं। अनपढ़ लोग इसे “बैलट पेपर” की तुलना में आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं और इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी आसान है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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