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चीन और पाकिस्तान ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे के विस्तार करने की योजना बनाई है, साथ ही ग्वादर बंदरगाह पर भी अपनी गतिविधियों में विस्तार करेगा। यह जानकारी भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि भरे इस परियोजना का विरोध करता आया है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगा जो भारत को नामंजूर है।

सीपीईसी चीन की महत्वकांक्षी परियोजना का महत्वपूर्ण भाग है जो चीन को दक्षिणी पूर्वी इलाके व मध्य एशिया से जोड़ेगा। सीपीईसी योजना के जानकार ने बताया कि हाल ही पाकिस्तान ने इस पहल के तहत औद्योगिक, कृषि और सामाजिक-आर्थिक परियोजना के समझौते पर चीन के साथ दस्तखत किए थे। हाल में बीजिंग में हुई संयुक्त बैठक में इस समझौते पर मोहर लगाई गई थी। पाकिस्तान के मंत्री खुसरो बख्तियार ने कहा की चीन चार विशेष आर्थिक इलाकों जैसे राशकाई, धबेजी, फैसलाबाद और इस्लामाबाद में इंडस्ट्री को पुनर्स्थापित करेगा।

खबरों क्व मुताबिक चीन ने शैक्षिक, स्वास्थ्य, सिंचाई और पाकिस्तान की कम जनसंख्या वाले इलाकों के विकास के लिए एक अरब डॉलर की सहायता दी थी। साथ ही पाकिस्तान ने देश की स्थानीय अर्थव्यवस्था में।वृद्धि के लिए चीन से इंजिनीरिंग और मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने का आग्रह किया है। विदेशी आदान प्रदान में कमी के कारण स्थानीय अर्थव्यस्था की हालत खराब है।

इमरान खान के नेतृत्व की सरकार ग्वादर बंदरगाह के लिए एके मास्टर प्लान की योजना तैयार कर रही है। यह बंदरगाह चीन की मदद से विकसित किया जा रहा है और यह चीन की नौसैन्य बेस की तरह कार्य करेगा। पाकिस्तान ग्वादर में स्थित पेट्रोकेमिकल और हाइड्रोकार्बन के काम्प्लेक्स का विस्तार करना चाहता है।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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