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    सीपीईसी परियोजना

    पाकिस्तान की मीडिया और लोग चीन-पाक आर्थिक गलियारे के खिलाफ बोलने से डर रहे हैं। इसके खिलाफ आवाजों को दबाया जा रहा है, उनके साथ राष्ट्र विरोधी या आतंकवादियों की तरह व्यवहार किया जाता है। पूर्व ओबामा प्रशासन ने अमेरिकी सांसदों से कहा था।

    आलोचकों को धमकाया जाता है

    जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल फॉर एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज के शामिल चौधरी ने कहा कि “पाकिस्तानी मीडिया में सीपीईसी के खिलाफ दुर्लभ ही अपने कोई लेख पढ़ा होगा। वहां मीडिया पर पाबन्दी है और वहां सिर्फ सीपीईसी के पक्ष में होता है। क्योंकि वहां के लोगो को भय है कि उन्हें धमकाया या डराया जायेगा।”

    बीते हफ्ते कांग्रेस की कमिटी में चौधरी ने सांसदों से कहा कि “स्थानीय स्तर पर सीपीईसी की आलोचना करने वालो को आतंकवादी का दर्जा दिया जाता है। वहां आतंक रोधी कानून है जिसे उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। सबसे बुरी सम्भावनाये हो सकती है। यह बेहद वास्तविक खतरा है और इसने नागरिक समाज और लोकतान्त्रिक संस्कृति को काफी नुकसान पंहुचाया जा चुका है, जबकि उनके देश के इतिहास लोकतंत्र से जुड़ा हुआ है।”

    सांसदों के सवालों का जावाब देते हुए चौधरी ने कहा कि “अमेरिका की नरम ताकत की तरह, चीनी विकास मॉडल जनता से जनता के संबंधो को नहीं बढाता है। पाकिस्तान में चीन पैसे के लिए हैं। वह बस्तियों में रहते हैं और चीनी कॉलोनियो में रहते हैं और अपने ही रेस्टूरेंट में जाते हैं। यह चीन के पक्ष में नहीं जा रहा है, किसी अन्य देश के साथ पाकिस्तान या चीन का सहयोग लम्बे समय का मामला है। इस सब चीजो से स्थानीय समुदाय बेहद नाखुश है, मुझे यकीन है।”

    चीन से लिए ऋण की जानकारी का खुलासा नहीं

    सांसदों को सूचित किया कि पाक को चीनी वित्तीय सहयोग को गोपनीय रखा गया है। यह जानकारी अब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ साझा की है इसलिए वह मौजूदा वित्तीय संकटों से उभर सकते हैं। आईएमएफ के साथ समझौते तक़रीबन पूरा हो चुका है और यह मेरी समझ है कि असल सूचना साझा की है। आप जानते हैं कि पाकिस्तान ने सार्वजानिक तौर पर चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधो को साझा नहीं किया था।

    चीन का निगरानी प्रावधान, डाटा आंकलन काबिलियत और नए हार्डवेयर पाकिस्तानी सेना को दिए गए थे, यह सुरक्षा को सुधारना है लेकिन ऐसे औजार डाटा कलेक्शन, सूचना का दुरूपयोग और निजता का उल्लंघन को बढ़ाना है। पाकिस्तानी  नागरिक समाज और मीडिया रिपोर्ट में मुखर आवाजों को दबाने के लिए अधिक सैन्य तरीको का इस्तेमाल किया गया है। वे समान संयमता  साझा करते हैं कि सेना पहले से काफी अधिक ताकतवर हुई है और यह चीन के कारण हुआ है।”

    उन्होंने कहा कि “चीन से लिए ऋण की शर्तो का पाकिस्तान सार्वजानिक तौर पर खुलासा नहीं करता है। पाकिस्तान में चीन सीपीईसी से भूआर्थिक और भूराजनीतिक फायदों का दिखावा करता है। चीनी प्रभुत्त्व के पाकिस्तानी और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं का अमेरिका को समर्थन करना चाहिए। चीन के उभार को दबाने के लिए अमेरिका को नीतियों का निर्माण करना चाहिए, जिसमे अन्य देशों की जरुरत और फायदों का आंकलन करना चाहिए।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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