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    1984 के सिख विरोधी दंगों के केस में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को अदालत द्वारा उम्र कैद की सजा दिए जाने के बाद इन दंगो में आरोपित अन्य आरोपियों को भी सजा मिलने की उम्मीद पीड़ितों में जागने लगी है। 1984 के सिख विरोधी दंगों में पीड़ितों का केस लड़ रहे वकील एच एस फुल्का ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बारे में कहा है कि 1 नवम्बर 1984 को रकाब गंज गुरुद्वारा पर जब भीड़ ने हमला किया तो उस वक़्त कमलनाथ भी गुरुद्वारा के पास मौजूद थे। फुल्का ने कहा कि केस में कमलनाथ के अबरे में हम कानूनी रूप से सभी पहलुओं को देख रहे हैं।

    सिख विरोधी दंगा पीड़ितों का केस लड़ रहे फुल्का ने कहा कि दंगों के एक एक गुनाहगार को सजा मिलनी चाहिए। फुल्का पिछले 34 साल से दंगा पीड़ितों का केस मुफ्त में लड़ रहे रहे हैं।

    वहीँ दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दंगों में अपनी किसी भी तरह कि संलिप्तता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि राजनितिक कारणों से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा “मैंने 1991 में सबसे पहले शपथ ली उसके बाद कई बार शपथ ले चूका हूँ। मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है, कोई चार्जशीट नहीं है। यहाँ तक कि मैं दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का प्रभारी भी था लेकिन कोई इस बारे में बात नहीं करता था।”

    1984 सिख विरोधी दंगों के केस में सज्जन कुमार को सजा मिलने के बाद फुल्का कोर्ट में रो पड़े। उन्होंने कहा “34 सालों से मैं ये सुनने का इंतज़ार कर रहा था। ये बहुत बड़ी जीत है जब मैंने ये केस लिया था उस वक़्त मैं 28 वर्ष का था।”

    अपने आंसू पोछते हुए फुल्का ने याद किया कि उन्होंने दिसंबर 1984 में पहला मामला दायर किया था। यह देखते हुए कि ये एक कठिन यात्रा थी और शक्तिशाली लोगों को पकड़ना इतना आसान नहीं था, उन्होंने कहा कि वह एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार थे।

    उन्होंने कहा “यह पल 34 साल बाद आया है। हम बहुत खुश हैं, लेकिन अन्य अपराधियों को दंडित करने की भी आवश्यकता है।” फुल्का ने कहा कि सिख विरोधी दंगों के दौरान अपराधों में एक हजार से ज्यादा लोग शामिल थे, लेकिन दिल्ली पुलिस की विफलता के कारण सभी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

    फुल्का ने यह भी कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक चेतावनी याचिका दायर की है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि सज्जन कुमार उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देंगे।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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