Wed. May 8th, 2024
Sabarimala-temple

50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने केरल के सबरीमाला मंदिर में बुधवार को पुलिस की मदद से प्रवेश किया। बिंदू और कनकदुर्गा नाम की दो महिलाओं ने आधी रात के आसपास चढ़ाई शुरू की और सुबह 3:45 बजे गर्भगृह के अंदर पहुंच गईं। त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि शुद्धि अनुष्ठान के लिए मंदिर को बंद कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि 40 वर्ष की आयु की दो महिलाओं के सुरक्षा घेरे के बीच मंदिर के अंदर जाने की पुष्टि करते हुए कहा, “सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के चढ़ने और प्रवेश करने के लिए बाधाएं थीं। यदि वे आज मंदिर में प्रवेश कर गए हैं, तो कोई बाधा नहीं आई होगी। यह सच है कि उन्होंने प्रवेश किया है। पुलिस को उन महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए गए थे जो चढ़ाई करना चाहती है।”

मंदिर में उनके प्रवेश का एक वीडियो व्हाट्सएप पर सर्कुलेट हो रहा है। वीडियो फुटेज में 41 दिन का व्रत लेने वाले तीर्थयात्रियों द्वारा इस्तेमाल किए आने वाले पवित्र 18 सीढ़ियों पर चढ़े बिना महिलाओं को एक दुसरे रास्ते से जाता दिखाया गया है।  महिलाओं ने वीआईपी और मीडिया द्वारा उपयोग किए जाने वाले एक साइड एंट्रेंस का इस्तेमाल किया, जो उन्हें सीधे सोपानम के सामने और मंदिर के गर्भगृह में मिलता है। वे बाद में पंबा लौट आई।

उत्तरी केरल की निवासी दोनों महिलाओं ने पहले दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सबरीमाला तक चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण सफल नहीं हो सकी थी। विरोध के डर से कनकदुर्गा के घर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। उसके परिवार को भी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

पम्पा में बेस कैंप में पुलिस अधिकारियों ने शुरू में कहा कि वे दो महिलाओं के पते ठिकाने से अनजान थे। जिला पुलिस प्रमुख फोन पर अनुपलब्ध थे। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड और पुजारी का परिवार दावों को सत्यापित करने के लिए कैमरा फुटेज की जाँच कर रहा है।

गौरतलब है कि 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं का सबरीमाला मंदिर में प्रवेश वर्जित था लेकिन 28 सितम्बर को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। कोर्ट के फैसले के विरोध में भारी प्रदर्शन हुआ।

By आदर्श कुमार

आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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