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    संयुक्त राष्ट्र

    संयुक्त राष्ट्र के पास भारत की पीसकीपिंग फाॅर्स के लिए 3.8 करोड़ डॉलर की राशि अभी उधार है जो विश्व में किसी भी देश के द्वारा दी जाने वाली राशि में सार्वधिक है। यूएन के अध्यक्ष एंटोनियो गुएटरेस ने वैश्विक संस्था की बिगड़ती वित्तीय हालात पर चिंता जाहिर की है।

    31 मार्च 2019 को वैश्विक संस्था की वित्तीय हालात में सुधार की रिपोर्ट पर यूएन के अध्यक्ष ने कहा कि “सक्रीय शान्ति स्थापना के अभियान में देशों का कुल 26.5 करोड़ डॉलर का उधार बकाया है। इसके लिए यूएन ने भारत से 3.8 करोड़ डॉलर, रवांडा से 2.8 करोड़ डॉलर, पाकिस्तान से 2.8 करोड़ डॉलर, बांग्लादेश से 2.5 करोड़ डॉलर और नेपाल से 2.3 करोड़ डॉलर लिए हैं।

    उन्होंने कहा कि “सैनिको और पुलिस में योगदान देने वाले देशों का जून 2019 तक 58.8 करोड़ डॉलर बकाया रह गया है जो सबसे खराब मामला है।” यह विरोधाभास को उत्पन्न करता है। यूएन लम्बे अंतराल के लिए सैन्य टुकड़ी और पुलिस के तौर पर मदद करने वाले देशो का उधार लम्बे वक्त के लिए बढ़ता जा रहा है। इनमे से कई देशों की आय बेहद कम है जो सार्थक वित्तीय बोझ को बढ़ा देता है।

    इसके साथ ही यूएन इन देशों से सैनिको को अधिक प्रशिक्षित करने और हथियारों की गुणवत्ता में सुधार करने की मांग कर रहा है। हालाँकि यूएन उनके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं कर रहा है। यूएन के महासचिव ने कहा कि “सैनिकों और पुलिस के रूप में योगदान देने वालो देशों को पीसकीपिंग अभियान के लिए अपने सैनिकों को अधिक प्रशिक्षित और बेहतर हथियार मुहैया करने चाहिए और इस अभियान में सुधार का उद्देश्य जारी रखना चाहिए।

    इस साल के शुरुआत में यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति चिंता का विषय है, विशेषकर पुलिस और सेना के रूप में योगदान देने वाले देशों की अदाएगी न होने या देर से होने क्षेत्र में काफी चिंताजनक हालात है।

    एंटोनियो गुएटरेस ने कहा कि “यूएन अधिक प्रभावी, उत्तरदायी, चतुर, कुशल और पारदर्शी बनने के लिए कार्य कर रहा है। संघठन के प्रयासों की सफलता सिर्फ आंतरिक सचिवालय के प्रयासों पर निर्भर नहीं करती बल्कि यूएन के कार्यक्रम और गतिविधियों में वित्तीय योगदान के उनके पूर्वानुमान और पर्याप्तता पर भी करती है साथ ही यह सदस्य देशों का समर्थन करती है।

    उन्होंने कहा कि “शान्ति स्थापित करने के अभियान निरंतर नकदी की समस्या से जूझ रहे हैं और यह संघठन को पुलिस और सैनिकों के रूप में योगदान देने वाले देशों के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वाह को स्थगित करने के लिए मज़बूर कर रही है।

    साल 2010 के अंत तक यूएन के समक्ष 41.2 करोड़ डॉलर की सकरात्नक नकदी थी लेकिन यह साल 2018 में नकारात्मक 32.3 अरब डॉलर के साथ खत्महो गयी थी। साल 2017 और 2018 में 73 देशों में पहली तिमाही में ही अपने पूरे योगदान की भरपाई कर दी थी और 30 दिनों के भीतर सदस्य देशों को भी पूरी अदाएगी करने की जरुरत है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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