Thu. Apr 25th, 2024
    भारत खेती निवेश संयुक्त राष्ट्र

    आईएफएडी ने बताया कि यूएन इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (आईएफएडी) और भारत सरकार ने 168 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया है, ताकि उत्तरपूर्व भारत में खेती करने वाले परिवारों के लिए आय और खाद्य सुरक्षा को निरंतर बढ़ाया जा सके। आईएफएडी ने कहा कि छह साल की परियोजना मिजोरम और नागालैंड राज्यों के ऊपर के 12 जिलों के आदिवासी गांवों में 201,500 ग्रामीण हाईलैंड खेती वाले परिवारों की सहायता करेगी।

    ज़्यादातर आबादी छोटे-छोटे किसानों की हैं जो बारिश से कृषि पर निर्भर रहते हैं और अपनी आजीविका के लिए ‘झूम’ नामक एक खेती प्रणाली पर आधारित होते हैं, आईएफएडी ने कहा। मीरा मिश्रा जो की भारत के लिए आईएफ़एडी समन्वयक हैं, कहती हैं कि जलवायु परिवर्तन में भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

    यह परियोजना पारंपरिक प्रथाओं को जंगलों के प्राकृतिक उत्थान चक्र के लिए व्यवस्थित रूप से संरेखित करेगी जबकि झूम खेती वाले घरों को वैकल्पिक खेती प्रणालियों, जैसे कि सेडेंटरी खेती,वेट टेरेस फ़ील्ड्स खेतों और बेहतर पशुधन प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, आईएफएडी ने कहा।

    परियोजना में 75.5 मिलियन डॉलर का ऋण और आईएफएडी से 1 मिलियन डॉलर अनुदान शामिल है और मिजोरम और नागालैंड की सरकारों द्वारा सह-वित्तपोषित किया जाएगा। आईएफएडी ने कहा है कि 1979 के बाद से भारत में 29 ग्रामीण विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं को वित्तपोषित किया गया था, जिससे 1.18 अरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है, जो लगभग 4.8 मिलियन ग्रामीण परिवारों के लिए लाभान्वित है।