Fri. Apr 19th, 2024

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रविवार को अपने सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत राजनीतिक मुद्दों के लिए संघ का समन्वयक नियुक्त किया है। उन्होंने कृष्ण गोपाल का स्थान लिया है, जो साल 2015 से यह काम संभाल रहे थे। मध्य प्रदेश के चित्रकूट में आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की बैठक में इस बदलाव की घोषणा की गई। अरुण कुमार, जो दिल्ली से हैं और पहले अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का पद संभाल चुके हैं।

    सात राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले बदलाव

    यह बदलाव सात राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जहां भाजपा सत्ता में है उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में जहां पार्टी की साख दांव पर है। संघ और पार्टी दोनों इस धारणा को बदलने की तैयारी कर रहे हैं कि केंद्र और राज्यों में भाजपा सरकार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थी। कृष्ण गोपाल संघ की दो प्रमुख शाखाओं के प्रभारी बने रहेंगे, लघु उद्योग भारती जो एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित है और विद्या भारती, जिसे शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। वहीं, आरएसएस ने पश्चिम बंगाल के क्षेत्र प्रचारक प्रदीप जोशी को अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख के रूप में भी प्रतिनियुक्त किया है।

    चित्रकूट में संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की बैठक

    चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर में 09 जुलाई से शुरू हुई अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक का समापन 12 जुलाई को होगा। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भैयाजी जोशी, राममाधव, सुरेश सोनी, मदनदास देवी, कृष्ण गोपाल समेत कई प्रांत प्रचारक भी मौजूद हैं।

    यूपी चुनाव से पहले बदलाव के क्या संकेत

    अभी सरकार के भीतर भी कई बदलाव देखने को मिला। कई नए मंत्री बने तो वहीं कई मंत्रियों की छुट्टी भी हुई। इस बदलाव में यूपी चुनाव के समीकरण को भी ध्यान में रखा गया है। यूपी चुनाव से पहले संघ के भीतर भी इस बदलाव को बेहद अहम माना जा रहा है। यूपी का चुनाव बीजेपी और संघ के लिए बेहद अहम है। देश के सबसे बड़े सियासी सूबे से किसी भी प्रकार का वो नियंत्रण नहीं खोना चाहेगी। बीजेपी का इस प्रदेश में सरकार का होना खास मायने रखता है और संघ भी इससे वाकिफ है। बंगाल चुनाव हार के बाद कई रणनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है और संघ के भीतर यह बदलाव भी चुनाव से पहले काफी अहम है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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