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    श्रीलंका में उपजा राजनीति संकट

    श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बादल हटने की आसार दिखने लगे हैं। श्रीलंका ने रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमन्त्री पद सौंपने का निर्णय लिया था। भारत ने श्रीलंका के इस कदम का स्वागत किया है। भारत ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्र की लोकतान्त्रिक ताकत की परिपक्वता को दर्शाता है।

    भारत का समर्थन

    श्रीलंका के राष्ट्रपति बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा कुर्सी सौंपने के पक्ष में नहीं है। ऐसी स्थिति में भारत को किसी फैसले की हौसलाफजाई करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। श्रीलंका में चल रहे राजनीतिक घमासान में किसी राजनीतिक दल की तरफदारी करने से बचना चाहिए।

    अलबत्ता रानिल विक्रमसिंघे चाहते हैं कि भारत इस राजनीतिक घमासान में दखल दे। भारत ने सन्देश दिया कि उन्हें श्रीलंका की कानूनी प्रक्रिया पर पूर्व विश्वास है।

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पड़ोसी और सच्चा दोस्त होने के नाते भारत श्रीलंका के राजनीतिक संकट के समाधान को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को श्रीलंका के संवैधानिक संस्थान और लोकतंत्र पर भरोसा है। उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि श्रीलंका और भारत के रिश्ते समय के साथ मज़बूत होंगे।

    26 अक्टूबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री पद से बर्खास्त कर दिया था और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को सत्ता की कमान सौंप दी थी।

    प्रधानमंत्री मोदी और महिंदा राजपक्षे के बीच मुलाकात

    प्रधानमंत्री मोदी और महिंदा राजपक्षे के बीच मुलाकात

    श्रीलंका में राजनीतिक संकट से पहले पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के मध्य मुलाकात हुई थी। इस बैठक का आयोजन भाजपा के वरिष्ठ राजनेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आयोजित की थी। इस बैठक में दोनों नेताओं ने पुरानी कड़वाहटों को भूलकर और शांति के प्रयास के बाबत प्रतिबद्धता दिखाई थी।

    महिंदा राजपक्षे को चीन का समर्थक माना जाता है। श्रीलंका के चीन के उच्च दर वाले कर्ज के जाल में फंसने के बाद महिंदा राजपक्षे ने कोलोंबो में परमाणु समुद्री बंदरगाह में प्रवेश की इजाजत दी थी।

    चीन की ख़ुशी

    महिंदा राजपक्षे की सत्ता में वापसी से चीन काफी उत्साहित हुआ था और इसका समर्थन किया था। चीन के राजदूत ने इस राजनीतिक संकट का समर्थन करते हुए महिंदा राजपक्षे का समर्थन किया था।

    चीन ने राजदूत को अनुभवहीन बताते हुए कहा चीन का कोई पसंदीदा नहीं है और वह सभी नेताओं के साथ कार्य करने के इच्छुक है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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