Fri. Apr 19th, 2024
    श्रीलंका में हबनटोटा बंदरगाह

    चीन के एक्सिम बैंक से श्रीलंका ने 98.9 करोड़ डॉलर कर्ज लेने के लिए दस्तावेजों पर दस्तखत कर दिए हैं।

    रायटर्स के मुताबिक श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने बताया कि “इस रकम से हिन्द महासागर द्वीप को हाईवे के जरिये चीनी निर्मित समुद्री बंदरगाह तक जोड़ा जायेगा।”

    इस नेटवर्क का निर्माण समस्त एशिया में मैत्रीपूर्ण बंदरगाहो के निर्माण की रणनीति के तहत किया जा रहा है। चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत श्रीलंका के द्वीप पर बंदरगाहों, पावर प्लांट और राजमार्ग का निर्माण किया है जो व्यस्त अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन से काफी नजदीक है।

    श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि “हबनटोटा बंदरगाह में उद्यम क्षेत्र के कंडी के सेंट्रल रिजन निर्माण की योजना के तहत लिया गया है, जो चाय, मसालों और पर्यटन के लिए जाना जाता है। हाईवे के निर्माण के लिए एक्सिम बैंक द्वारा श्रीलंका को एकमात्र सबसे बड़े कर्ज की मंज़ूरी दी गयी थी।”

    उन्होंने कहा कि “ढांचागत विकास के क्षेत्र में वित्तीय सहयोग को मज़बूत करेगा। चीन के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ने 98.9 करोड़ डॉलर के रियायती कर्ज की मंज़ूरी दे दी है।”  श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अधिकारी आरएचएस समरतुंगा और चीनी राजदूत चेंग सूएयूएन ने कोलोंबो में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।

    इस कर्ज को सहमति चार वर्षों की बातचीत के बाद दी गयी है। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। आलोचकों ने चेताया कि चीनी बंदरगाह परियोजना और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मुल्क के 210 लाख लोगों को कर्ज के समुन्द्र में डूबा देगा।

    विदेशी कर्ज में फंसा श्रीलंका अब भारत और जापान से सहायता ले रहा है। श्रीलंका ने चीन से 1.5 डॉलर कर्ज लिया था जिसे चुकता न कर पाने के कारण श्रीलंका ने हबनटोटा बंदरगाह चीन के सुपुर्द कर दिया था। श्रीलंका पर चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज 9.2 अरब डॉलर है।

    रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका पर चीन का आठ अरब डॉलर कर्ज है। इस वर्ष देश को 4 अरब डॉलर की रकम चुकानी है और श्रीलंका के पास 8 अरब डॉलर है, हम इसका उपयोग सिर्फ कर्ज चुकाने के लिए नहीं कर सकते हैं, हमें एक न्यूनतम बैलेंस रखना होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *