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    एस जयशंकर

    चीन ने मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान का इस्तकबाल किया था और इसके बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत की यात्रा पर आयेंगे। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति का महाबलीपुरम में इस्तकबाल करेंगे। जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रपति शी और पीएम मोदी की अनौपचारिक बैठक में कोई बड़े व्यापार और सुरक्षा समझौते नहीं दिख रहे हैं। संबंधो से बाहर मुद्दों को नजरअंदाज करने पर ध्यान केन्द्रित होगा।

    वांशिगटन में आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में यूएस इनिशिएटिव के निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि “मेरे ख्याल से भारत की सरकार बिलकुल स्पष्ट है कि इस अनौपचारिक सम्मलेन का मकसद किसी विशिष्ट एजेंडे को हासिल करना नहीं है बल्कि संबंध का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना है।”

    शी की भारत यात्रा में व्यापारिक संबंधो को मज़बूत करने पर चर्चा नहीं की जाएगी। जयशंकर ने व्यापार घाटे को दर्शाया था जिसे भारतीत अधिकारियो ने कई बार समकक्षियो के समक्ष उठाया है। 16 देशो के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तखत करने का प्रस्ताव दिया गया था जिसमे भारत और चीन भी शामिल है।

    जयशंकर ने कहा कि “सवाल यह उठता है कि भारत चीन को क्या निर्यात कर सकता है और क्या अन्य कारक प्रतिद्वंदता करने में सक्षम है। कृषि, फार्माटिकल्स और अन्य उत्पादों में थोड़ी व्यापार रियायत से व्यापार घाटे को नहीं घटाया जा सकता है।”

    ओआरएफ के निदेशक ने कहा कि “चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता का निरंतर बढ़ना एक चिंतित मामला है। इसके नई दिल्ली पर रणनीतिक प्रहाव पड़ सकते हैं।” चीनी राष्ट्रपति और पाकिस्तानी पीएम के बीच कश्मीर मामले पर चर्चा की रिपोर्ट्स पर भारत ने प्रतिक्रिया दी कि “चीन हमारी स्थिति में अच्छे से वाकिफ है। भारत के आंतरिक मामले में किसी दुसरे देश को टिपण्णी करने का हक़ नहीं है।”

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “हमें पाकिस्तानी पीएम और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात की रिपोर्ट्स को देखा था जिसमे कश्मीर के मामले पर चर्चा भी शामिल थी।” जिनपिंग की भारत यात्रा से पूर्व इमरान खान ने बीजिंग में कश्मीर के मामले को उठाया था।

    पाकिस्तान के पीएम ने न सिर्फ चीनी राष्ट्रपति बल्कि नकदी सहायता के लिए कारोबारी नेताओं से भी मुलाकात की थी। जयशंकर ने कहा कि “पाकिस्तान ने बीआरआई को अपनाया क्योंकि उनके नजरिये से वह इससे अमेरिका निर्भरता को कम कर लेंगे। चीन के लिए पाक उसके रणनीतिक मंसूबो को पूरा करने का जरिया है।”

    उन्होंने कहा कि “भारत के नजरिये से चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता बढना चिंतित विषय है और इससे नई दिल्ली पर प्रभाव पड़ सकता है। मुझे नहीं मालूम कि चीन ने इसे किस तरीके से देखा लेकिन भारत ने हमेशा स्पष्ट किया है कि हम किस भी देश को वीटो का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे जिसके साथ वह बातचीत करता है। मसलन भारत चीन और रूस के साथ उच्च स्तर की वैठके करता है और शायद यह अमेरिका और अन्यो को पसंद नहीं।”

    चीनी राष्ट्रपति नेपाल की यात्रा पर भी जायेंगे और साल 1996 के बाद नेपाली दौरा करने वाले वह पहले चीनी राष्ट्रपति है। जयशंकर ने कहा कि शी की नेपाल यात्रा को अनदेखा नहीं करना चाहिए बंगलदेश के अनुभव को दिमाग में रखना चाहिए। चीन से झल्लाहट के संकेत नेपाल ने दिए हैं और भारत के साथ अपने संबंधो को दोबारा बनाना चाहता है।

    उन्होंने कहा कि “भारत और नेपाली सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं पर अमल करने के लिए प्रयास दोगुने कर दिए हैं। भारत पड़ोस में विकास पर पैनी निगाहे बनाये हुए हैं। शी की नेपाल की महत्वपूर्ण यात्रा से घबराने की जरुरत नहीं है।”

     

     

     

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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