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    शिवसेना: भाजपा के पास कन्हैया कुमार की निंदा करने का कौनसा नैतिक अधिकार है?

    शिवसेना ने आज कहा है कि भाजपा के पास छात्र नेता कन्हैया कुमार जिसके ऊपर देशद्रोह के इलज़ाम लगे हैं, उनकी  आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

    दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कन्हैया कुमार और बाकियों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया था ये कहते हुए कि वे एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और जेएनयू कैंपस में फरवरी 2016 में उठने वाले राज-द्रोह नारों का समर्थन कर रहे थे।

    पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में सेना ने कहा-“भाजपा ने महबूबा मुफ़्ती को समर्थन देकर महापाप किया है जिन्हें ये लगता है कि अफज़ल गुरु एक स्वतंत्रा सेनानी और एक शहीद है। अब भाजपा को अपने फायदे के लिए, कन्हैया के खिलाफ लगे देशद्रोह के मामलों से राजनीतिक लाभ नहीं निकालना चाहिए।”

    उसने आगे कहा कि अजमल कसाब जैसे आतंकी को कोर्ट में अपना बचाव करने का मौका मिला जब उसपर 2008 के मुंबई आतंकी हमले का इलज़ाम लगा था। और वे उम्मीद करते हैं कि कन्हैया कुमार को अपना मामला पेश करने का मौका मिलेगा।

    आगे उसने सवाल किया-“कन्हैया कुमार अच्छा बोलते हैं। और जब वे परेशान और बेरोजगार युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तो वे कश्मीर की आज़ादी और अफज़ल गुरु की जय हो वाले नारे नहीं दे सकतें। जो भी हो, भाजपा के पास कन्हैया कुमार की निंदा करने का कौनसा नैतिक अधिकार है?”

    एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी में शिवसेना ने कहा-“महाराष्ट्र के भाजपा नेता गिरीश महाजन ने हाल ही में दावा किया था कि उन्हें जहाँ भी भेजा जाएगा, वे अपना जादू दिखायेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पार्टी चुनाव जीत जाए। हम भाजपा से अनुरोध करते हैं कि उन्हें जेएनयू में देशद्रोहियों को हराने के लिए भेज दिया जाये। मगर उन्हें बता देना कि वहाँ चुनाव ईवीएम के द्वारा नहीं होते हैं।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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