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    शिया और सुन्नी मुसलमान

    इस्लाम धर्म विश्व में दूसरा सबसे बड़ा माने जाना वाला धर्म है। विश्व में करीबन 1.8 अरब लोग इस धर्म का पालन करते हैं। कुरान को पूजने वाले इस्लाम अनुयायिओं के मुताबिक अल्लाह एक है। करीबन 1300 साल पुराने इस धर्म में एक विवाद ऐसा है, जो सालों से चलता आया है – शिया और सुन्नी विवाद।

    विषय-सूचि

    दोनों वर्गों के लोग खुद को अल्लाह और इस्लाम का असली प्रचारक मानते हैं। पिछले कुछ समय में दोनों वर्गों के लोगों के बीच काफी विवाद और हिंसा के मामले सामने आये हैं। इस लेख के जरिये जानते हैं, कि शिया और सुन्नी मुस्लिम में क्या अंतर है?

    शिया सुन्नी का इतिहास (shia sunni history in hindi)

    इस्लाम धर्म की उत्त्पति सातवीं सदी में हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक माने जाने वाले हजरत मुहम्मद की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी की खोज शुरू हुई। मुहम्मद को मानने वाले लोगों के बीच नए उत्तराधिकारी चुने जाने पर विवाद शुरू हो गया। कुछ लोगों का मानना था कि अबू बकर नाम के एक व्यक्ति को इस्लाम का अगला पथप्रदर्शक बनाया जाए। वहीँ एक दूसरे वर्ग के लोगों का मानना था कि अली इब्न तालिब को मुहम्मद का प्रचारक बनाया जाए।

    शुरुआत में चूंकि अबू बकर के पक्ष में ज्यादा लोग थे, उन्हें इस्लाम का अगला उत्तराधिकारी चुना गया। अबू बकर और उनके दो उत्तराधिकारियों की हत्या के बाद अंततः अली को मुहम्मद का स्थान मिला। इसके बाद अली की भी हत्या कर दी गयी। अली की हत्या के बाद इस विवाद ने बड़ा रूप ले लिया। चूंकि विवाद विचारों और धारणाओं का था, दोनों वर्गों के लोग उस समय से एक-दूसरे को मारने पर उत्तारू हैं।

    शिया-सुन्नी विचारों में अंतर

    यद्यपि दोनों वर्गों के अनुयायी कुरान को पवित्र मानते हैं, लेकिन दोनों के विचारों में बहुत अंतर है। सुन्नी वर्ग के लोगों के मुताबिक अबू बकर ही अल्लाह का असली उत्तराधिकारी था। जबकि शिया का मानना है कि अली और उनके वारिस हजरत मुहम्मद के सही वारिस हैं। शिया और सुन्नी में अंतर इसी बात से शुरू हुआ था।

    दोनों वर्गों के लोग महदी को इस्लाम का सही भविष्य बताते हैं, जिसके अनुसार जब संसार का अंत होगा तो महदी की उत्पत्ति होगी, जिसके बाद सिर्फ इस्लाम ही इस धरती पर रहेगा।

    सुन्नी वर्ग के लोग सुन्ना का पालन करते हैं, जो उनके मुताबिक, हजरत मोहम्मद द्वारा बताये गए नियमों से परिपूर्ण है। वहीँ शिया वर्ग के लोग अयातुल्ला को भगवान का प्रतिक मानते हैं।

    हालाँकि दोनों वर्गों के लोग हजार साल से एक-दूसरे की उपस्थिति में रहते आये हैं, लेकिन हाल में किये गए एक शोध में यह पता चला कि करीबन 40 फीसदी सुन्नी मुसलमान, शिया को असली मुसलमान नहीं मानते हैं।

    मध्य-पूर्वी देशों में दोनों वर्गों के लोगों के विवाद को देखा जा सकता है। इराक और सीरिया में सालों से चलता आ रहा हिंसा का माहौल ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा है।

    शिया-सुन्नी की संख्या

    शिया और सुन्नी में अंतर उनकी संख्या को लेकर भी काफी बड़ा है। विश्व में कुल 1.8 अरब मुस्लिमों में से लगभग 87-90 फीसदी सुन्नी मुस्लिम हैं। सुन्नी, मुख्य रूप से इंडोनेशिया, चीन, सऊदी अरब, पाकिस्तान आदि देशों में रहते हैं। शिया मुस्लिम, जो मुस्लिम धर्म के 10-13 फीसदी लोग हैं, मुख्य रूप से इराक, ईरान और बाहरेन में रहते हैं।

    भारत में वर्तमान में करीबन 17 करोड़ मुस्लिम रहते हैं, जिनमे से मुख्यतः सुन्नी हैं। देश में करीबन 15 करोड़ सुन्नी और दो करोड़ शिया मुस्लिम रहते हैं। शिया मुस्लिम भारत में बड़ी मात्रा में दिल्ली, हैदराबाद और लखनऊ के इलाके में रहते हैं।

    प्राचीन भारत में मुस्लिम शासकों के दौर में शिया मुस्लिमों पर बहुत जुल्म किये गए थे। 15वी शताब्दी से 19 वी शताब्दी के बीच शिया वर्ग के लोगों को भारी मात्रा में यातनाएं झेलनी पड़ी। इसके विपरीत, आजादी के बाद दोनों वर्गों के लोगों के बीच कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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