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    वेनेजुएला के नेता निकोलस मदुरो और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

    रूस ने गुरूवार को अमेरिका को चेताया कि वह वेनेजुएला और रूस के द्विपक्षीय सबंधों में दखलंदाज़ी न करे। अब हालाँकि ब्राजील नें भी वेनेजुएला मुद्दे पर अमेरिका का साथ दिया है और रूस की सेना को वापस जाने को कहा है।

    बीबीसी के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि “मुझे नहीं लगता है कि हमारे किसी देश से द्विपक्षीय सबंधों के बाबत किसी तीसरी पार्टी को घबराने की जरुरत है। हम वेनेजुएला के घरेलू मसलो मे हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं और तीसरे देश से भी यही उम्मीद करते हैं। वेनेजुएला की जनता को उनके भविष्य का निर्णय खुद लेने देना चाहिए।”

    वांशिगटन न करे हस्तक्षेप

    उन्होंने कहा कि “विश्व के कई भागो में अमेरिका मौजूद है लेकिन कोई वांशिगटन को नहीं कहता कि उसे कहा मौजूद होना चाहिए और कहा नहीं होना चाहिए। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि किसी तीसरे देश से हमें सम्बन्ध बनाने का अधिकार है जो हमारे हितो पर आधारित हो और उन देशों के हितों का सम्मान करना चाहिए।”

    अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने सोमवार को रूस से वेनेजुएला में अपने बिगड़ैल व्यवहार को खत्म करने के लिए कहा था क्योंकि इससे वहां हालात बदतर हो रहे हैं। बीते रोज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वेनेजुएला से रुसी सैनिकों को बाहर निकालने के लिए वह सभी विकल्पों पर गौर कर रहे हैं।

    हाल ही में जारी विदेश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने वेनेजुएला में दो सैन्य विमानों में 100 सैनिकों का कराकस भेजा था। बीते हफ्ते वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा कि “रूस अगले हफ्ते यहां दवाइयां भेजेगा।”

    रूस नें भेजी राहत सामग्री

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    रूस नें अपनी सेना को वेनेजुएला में तैनात कर दिया है

    अलजजीरा के मुताबिक, फरवरी में मादुरो सरकार ने कोलंबिया के बॉर्डर के रास्ते मानवीय सहायता को वेनुजुएला में प्रवेश करने से रोक दिया था। साथ ही उन्होंने ब्राज़ील से जुड़े वेनेजुएला की सीमा को भी बंद करने के आदेश दिए थे। अमेरिकी समर्थित विपक्षी नेता जुआन गुइदो ने इस मानवीय सहायता को देश में प्रवेश करने की अनुमति दी थी, जो खुद को वेनुजुएला का राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं।

    जनवरी से वेनेजुएला आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। यूरोपीय संघ सहित कई पश्चिमी देशों ने विपक्षी नेता को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दे दी है। वही रूस, चीन ने मादुरो सरकार का समर्थन करते हुए वेनेजुएला में दूसरे देशों के हस्तक्षेप की निंदा की थी।

    ब्राजील ने दिया अमेरिका का साथ

    रूस द्वारा वेनेजुएला में सेना भेजने के फैसले का ब्राजील नें भी विरोध किया है।

    रायटर्स के मुताबिक, ब्राजील के विदेश मंत्री एर्नेस्तो अरौजो नें कहा है कि यदि रूस वेनेजुएला में शान्ति चाहता है, तो उसे फ़ौरन अपनी सेना को वहां से बाहर निकालना होगा।

    अरौजो नें रायटर्स को बताया कि रूस को यह समझना चाहिए कि पुतिन समर्थित नेता निकोलस मदुरो के नेत्रत्व में वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था डूब जायेगी और इस समस्या का हल सिर्फ यही है कि वेनेजुएला में विपक्षी नेता युआन गुइदो के नेत्रत्व में चुनाव किये जाएँ।

    उन्होनें आगे कहा,

    यदि निकोलस मदुरो ज्यादा दिन तक सत्ता में रहते हैं, इसका मतलब है ज्यादा से ज्यादा लोग भुखमरी का सामना करेंगे और देश छोड़ने पर विवश हो जायेंगे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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