Thu. Apr 25th, 2024
    नूडल्स ब्रांड मैगी

    भारत में नेस्ले इंडिया का मशहूर नूडल्स ब्रांड मैंगी लैब टेस्ट में एक बार फिर फेल होने के चलते चर्चा में बना हुआ है। आप को बता दें कि यूपी के शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने नेस्ले इंडिया और इसके वितरकों पर 45 लाख रूपए का जुर्माना ठोका है। खबरों के अनुसार शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने नेस्ले इंडिया के दो वितरकों पर 15 लाख रूपए तथा दो विक्रेताओं पर 11 लाख रूपए दंड निर्धारित किया है।

    मैगी के लैब टेस्ट में फेल हो जाने पर एफएमसीजी का कहना है कि, यह गलत मानकों का नतीजा है। जिला प्राधिकरणों के अनुसार पिछले साल नवंबर महीने में मैगी ब्रांड के नमूने एकत्र कर, इन्हें लैब टेस्ट के लिए भेजा गया था। लेकिन जांच में पाया गया कि मैगी के इन नमूनों में इंसानों के उपभोग के लिए अनु​मति सीमा से ज्यादा मात्र में राख मिलाई गई थी।

    मैगी नूडल्स ने दी सफाई

    लैब टेस्ट के निष्कर्षों पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए नेस्ले इंडिया ने कहा है कि उसे अभी तक ऐसा कोई भी आदेश नहीं मिला है, जैसे ही इस तरह का कोई आदेश प्राप्त होगा वह एक अपील दायर करेगी। नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा पारित आदेश की प्राप्ति हमें नहीं हुई है। फिलहाल हमें यह सूचना मिली है कि मैगी नूडल्स के यह नमूने 2015 के हैं।

    उन्होंने कहा कि चूंकि यह लैब टेस्ट में गलत मानकों को प्रयोग में लाने का मामला है, ऐसे में यह आदेश मिलते ही हम तुरंत एक अपील दायर करेंगे। गौरतलब है कि साल 2015 में नेस्ले इंडिया और अन्य कंपनियों ने प्रवर्तन अधिकारियों और उपभोक्ताओं के भ्रम को दूर करने के लिए उद्योग संघों के माध्यम से विशिष्ट मानकों को रिप्रजेंट किया था।

    उन्होंने कहा कि, कंपनी अपने सभी उत्पाद मानकों को अनुपालन करती है। हमें खेद है कि जिला प्रशासन के इस कदम से उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम दृढ़ता से इस बात को दोहराते हैं​ कि नेस्ले इंडिया का मैगी नूडल्स 100 फीसदी सुरक्षित और सही है।

    2015 में भी मैगी पर लगा था प्रतिबंध

    आप को जानकारी के लिए बता दें कि नूडल्स ब्रांड मैगी को जून 2015 में एफएसएसएआई द्वारा प्रतिबंधित किया गया था, उस समय जांच के दौरान स्वीकृत सीमा से ज्यादा मात्रा में सीसा पाया गया था। उस समय नेस्ले इंडिया को बाजार से उत्पाद वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा था। 2015 में भी मैगी की यह समस्या यूपी से ही शुरू हुई थी। कानूनी लड़ाई के बाद नंवबर 2015 में यह लोकप्रिय ब्रांड दोबारा बाजार में वापस आ गया था।