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    लीबिया में संकट

    लीबिया में खलीफा हफ्तार की वफादार सेना ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड के त्रिपोली में स्थित मुख्यालय को तबाह कर दिया है। खलीफा हफ्तार की सेना लिबयन नेशनल आर्मी ने रविवार को जीएनए के मुख्यालय पर धावा बोला था।

    इस दिन की शुरुआत में हफ्तार ने ऐलान किया कि रमजान के महीना पाक युद्ध का माह है। त्रिपोली पर हफ्तार का आक्रमण देश के हालतो को बिगाड़ सकता है। देश गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। त्रिपोली के संघर्ष में 200 से अधिक नागरिक अपनी जान गँवा चुके हैं और 913 लोग अभी भी बुरी तरह जख्मी है।

    लीबिया के तानाशाह मोहम्मद गद्दाफी की हत्या के बाद लीबिया दो भागो में विभाजित हो गया है। एलएनए समर्थित सरकार का पूर्वी लीबिया पर नियंत्रण है जबकि जीएनए की सरकार का त्रिपोली से लेकर पश्चिम क्षेत्र तक नियंत्रण है। शुरुआत में अमेरिका की सरकार प्रधानमंत्री फैसज अल सेरराज की जीएनए का समर्थन करती थी।

    अलबत्ता, अमेरिकी कूटनीतिज्ञों और सैन्य अधिकारीयों ने रुसी समर्थित हफ्तार के साथ भी संपर्क साधा है। अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने तीव्र संघर्ष का शांतिपूर्ण प्रस्ताव से समाधान निकालने की कोशिश की है। अफ्रीकी राष्ट्र के हालात काफी बिगड़ते जा रहे हैं।

    भारत ने शान्ति स्थापित करने वाले 15 सीआरपीएफ के जवानो को लीबिया से हटा दिया है और इसके बाद अमेरिका व नेपाल ने भी अपनी सेनाओं को वापस बुला लिया था। लीबिया के प्रधानमंत्री फ़ाएज़ अल सेरराज ने गुरूवार को कहा कि “जब तक खलीफा सरकार वापस अपनी जगह पर नहीं लौट जाती किसी संघर्षविराम का ऐलान नहीं किया जायेगा।”

    हफ्तार की लिबयन नेशनल आर्मी ने 4 अप्रैल को राजधानी की तरफ कूच किया था। अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त जीएनए सरकार की वफादार सेना ने आक्रमक हमला किया है। लीबिया से विस्थापितों को शरण देने के लिए सबसे पहले इटली ने कदम उठाये हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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