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    रोहिंग्या मुस्लिम

    बांग्लादेश के विदेश विभाग ने शुक्रवार को ऐलान किया कि “रोहिंग्या प्रत्यर्पण पर बांग्लादेश और म्यांमार की चौथे चरण की वार्ता का आयोजन 3 मई को नैय पई तौ में होगा।” ढाका ट्रिब्यून के हवाले से विदेश मंत्री डॉक्टर अब्दुल मोमेन ने कहा कि “बैठक का मकसद हज़ारो रोहिंग्या मुस्लिमों की देश वापसी होगा, जिन्हे मज़बूरन कॉक्स बाजार में आश्रय लेना पड़ रहा है।”

    म्यांमार के सुरक्षा बलों और स्थानीय बौद्ध नागरिकों की बर्बरता के कारण लाखो रोहिंग्या मुस्लिमों ने देश छोड़ दिया था और पड़ोसी मुल्कों में शरण ली थी। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री शेख हसीना ब्रूनेई की आगामी यात्रा के दौरान आसियान देशों से रोहिंग्या शरणार्थियों के देश प्रत्यर्पण प्रक्रिया में सहायता करने की दरख्वास्त करेंगी।”

    विदेश मंत्री ने कहा कि “आगामी बांग्लादेश म्यांमार जॉइंट वर्किंग ग्रुप की बैठक बीते वर्ष दोनों पड़ोसियों द्वारा प्रत्यर्पण के प्रयास में विफल का नतीजा है।” बीते अक्टूबर में म्यांमार और बांग्लादेश ने एक समझौते पर दस्तखत किये थे इसके तहत प्रत्यर्पण प्रक्रिया की शुरुआत नवंबर से होना लाजिमी है।

    अलबत्ता, यह प्रक्रिया ठप पड़ गयी क्योंकि म्यांमार रोहिंग्या मुस्लिमों की मुल्क वापसी के लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं कर पाया था। बीते वर्ष अगस्त में म्यांमार के पश्चिमी बॉर्डर को पार कर 700000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश में दाखिल हुए थे।

    यूएन जांचकर्ताओं ने म्यांमार में नरसंहार के लिए कट्टर राष्ट्रवादी बौद्ध संत और सेना को जिम्मेदार ठहराया था। नेता अंग सान सु की की सरकार ने सेना के साथ सत्ता साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। म्यांमार रोहिंग्या मुस्लिमों को नागरिकता देने से इंकार करता है।

    साल 1948 में ब्रिटेन की हुकूमत से म्यांमार की आज़ादी का ऐलान किया गया था, लेकिन देश इसके बाद से ही संजातीय विवादों की स्थिति से जूझ रहा हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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