Thu. Apr 18th, 2024
    कांग्रेस गुजरात

    राहुल गाँधी के पार्टी अध्यक्ष बनने को लेकर कांग्रेस ने समय सीमा बढ़ा दी है। पिछले कुछ महीनो से कांग्रेस पार्टी और अन्य दलों में यह चर्चा छाई रही कि सोनिया गाँधी की जगह अब राहुल को बैठाया जायेगा। लेकिन इस औपचारिक एलान को कुछ समय के लिए आगे की ओर बढ़ा दिया गया है। कांग्रेस पार्टी के कुछ प्रमुख नेता भी इस बात के संकेत दे चुके थे। लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए कांग्रेस की तरफ से इस प्रक्रिया की तिथि को रोक दिया गया है।

    सोनिया गाँधी के साथ कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक हुई जिसमे कहा गया कि पार्टी में बदलाव की जरुरत है लेकिन कांग्रेस इस प्रक्रिया को गुजरात चुनाव के बाद करेगी। ( यह भी पढ़ें : राहुल गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर सोनिया गाँधी की सहमति )

    पहले पार्टी के नेताओ के तरफ से यह बार बार संकेत दिए जा रहे थे कि दीपावली के बाद पार्टी औपचारिक एलान कर राहुल गाँधी को कांग्रेस का कमान सँभालने को दे देगी। आगामी चुनावों को देखते हुए राहुल पार्टी का नेतृत्व करने लगेंगे। ( सम्बंधित खबर : दीवाली बाद हो सकती है राहुल गाँधी की ताजपोशी, तैयारियों में जुटी कांग्रेस )

    इस एलान के पीछे पार्टी कि मंशा यह भी थी कि गुजरात चुनाव में राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में पेश किया जाये। लेकिन औपचारिक एलान में देरी होने बाद पार्टी के नेता यह मान रहे थे कि हिमांचल के चुनाव के दौरान इस घोषणा का एलान किया जायेगा। सभी राजनैतिक दलों को लगा कि 9 से 19 नंवबर के बीच कांग्रेस ऐसा कुछ एलान कर सकती है क्योकि 19 नंवबर को कांग्रेस की लोकप्रिय नेता श्रीमति इंद्रा गाँधी की जयंती है।

    लेकिन कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब ऐसा लग रहा कि इस घोषणे का एलान अभी संभव नहीं है । क्योकि पार्टी अध्य्क्ष सोनिया गाँधी गोवा दौरे पर गई है और इधर राहुल गाँधी गुजरात चुनाव को लेकर व्यस्त दिख रहे है।

    पार्टी के सूत्रों से पता चला है कि वर्किंग कमिटी कि बैठक और चुनावी प्रक्रिया में लगने वाले समय के कारण इस घोषणा को टाला गया है। इस प्रक्रिया को टालने का खास वजह है राहुल गाँधी का गुजरात दौरा चुनाव को मध्यनजर रखते हुए इसपर कोई खास जोर नहीं दिया गया। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर यह एलान गुजरात चुनाव के दौरान किया जाता तो चुनाव में काफी दिक्कत आती और पार्टी इस नए घोषणा में ही उलझ कर रह जाती। इस घोषणे से चुनावी समीकरण बिगड़ सकती थी।