Fri. Apr 19th, 2024
    'राम सिया के लव कुश' के बाल कलाकार: हमने लव और कुश बनकर बहुत कुछ सीखा

    पौराणिक शो से न केवल दर्शको को ज्ञान मिलता है, बल्कि इसको करने वाले कलाकारों को भी बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता है। न केवल वे अभिनय की बारीकियों को समझ पाते हैं बल्कि इससे सबक भी लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है कृष चौहान और हर्षित काबरा के साथ जो शो ‘राम सिया के लव कुश‘ में लव और कुश का किरदार निभा रहे हैं और साथ ही शो के नरेटर भी हैं।

    उन्होंने IANS को बताया कि उन्हें रामायण के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला और ऐसी भी चीज़ें सीखने को मिली जो स्कूल की किताबो में नहीं सीखने को मिलती। हर्षित के मुताबिक, “यह मेरे लिए एक अच्छा शो है क्योंकि पाठ्यपुस्तक में हम विवरण में लव के बारे में इतना नहीं पढ़ते हैं।”

    Related image

    “स्क्रिप्ट के माध्यम से मुझे पता चला कि लव एक बहुत ही शांत लड़के हैं। जैसा कि कुश करते हैं, वह लड़ाई नहीं करते और वह अपनी मां से प्यार करते हैं। लव अपने पिता राम की तरह है और वह धनुष और तीर चलाने में अच्छे हैं। मुझे शो से पहले ये नहीं पता था।”

    कृष ने कहा-“मैं भी, कुश के बारे में इन विवरणों से अवगत नहीं था – यह तथ्य कि एक बच्चे के रूप में वह मुखर और आक्रामक थे। वह आसानी से चिढ़ जाते, लेकिन जिस क्षण उनकी माता सीता उनके पास आती, वह एक आज्ञाकारी लड़का बन जाते – लगभग हम जैसे शिक्षकों के सामने स्कूल में होते हैं।”

    Related image

    शो में राम और सीता का किरदार हिमांशु सोनी और शिव्या पठानिया निभा रहे हैं जो इन बच्चो के साथ शूट करते हैं। क्या बाहर इतने घंटो तक शूटिंग करने की वजह से उनकी पढ़ाई में नुकसान होता है?

    दोनों बल दोनों बाल कलाकारों ने कहा कि ऐसा नहीं होता क्योंकि हर दिन उनके सेट पर एक शिक्षक आता है जो उन्हें दो घंटे पढ़ाई और होमवर्क करवाता है।

    कृष ने कहा-“हमारे दोस्त भी सहायक रहे हैं, क्योंकि वे हमें ऐप पर क्लास नोट्स भेजते रहते हैं।” हर्षित ने कहा-“कभी कभी हमारे दोस्त अपना होमवर्क करने से पहले ही हमारा होमवर्क कर देते हैं। उन्हें पता है कि हम फीचर शो में नज़र आएंगे, शायद यही कारण है कि वे हम पर इतना ध्यान देते हैं।”

    Image result for Ram Siya Ke Luv Kush

    चूँकि ये एक पौराणिक शो है इसलिए उन्हें भारी भारी पोषक और जेवर भी पहनने पड़ते होंगे, तो क्या उन्हें तकलीफ होती है? कृष ने कहा-“कपड़ो के ट्रायल में, हमे पोशाकों में अच्छा लग रहा था। हम भाग सकते थे और उन्हें पहने खेल सकते थे, जब हम शूटिंग नहीं कर होते तब भी। लेकिन उसके बाद आए जेवर और बाल। वो बड़ी मुसीबत थे। तैयार होते वक़्त बालों में सबसे ज्यादा वक़्त लगता है।”

    हर्षित के मुताबिक, “मुझे लगता है कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि जब हम शिव्या दीदी और हिमांशु भैया को देखते हैं, तो उन्हें हमसे कई अधिक कठिन चीज़ो से गुजरना पड़ता है। वो ज्यादा भारी पोशाक और जेवर पहनते हैं और वो भी इस गर्मी में। उस तरीके से, हम ठीक है।”

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *