Fri. Apr 26th, 2024
    अमित शाह और स्मृति ईरानी

    देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के “चाणक्य” कहे जाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुजरात से चुनाव जीत राज्यसभा पहुँच गए हैं। आज उन्होंने राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली। उनके साथ ही राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुई केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने भी बतौर सांसद शपथ ग्रहण ली। स्मृति ईरानी ने अपनी शपथ घोषणा संस्कृत में पढ़ी। राज्यसभा के सभापति और देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों को शपथ दिलाई।

    पहली बार संसद पहुँचे हैं शाह

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दाहिने हाथ कहे जाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पहली बार संसद भवन पहुँचे हैं। इससे पूर्व वह 5 बार गुजरात भाजपा के विधायक रह चुके हैं। वहीं केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी लगातार दूसरी बार राज्यसभा सांसद चुनी गई हैं। 8 अगस्त को गुजरात में हुए बहुचर्चित राज्यसभा चुनावों में इन दोनों दिग्गजों ने जीत दर्ज की थी और राज्यसभा सदस्य बने थे। भाजपा अभी तक संसद के उच्च सदन राज्यसभा में कमजोर नजर आ रही थी और निश्चित तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने से उसे सदन में मजबूती मिलेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पहले से ही राज्यसभा के सभापति की भूमिका में हैं। ऐसे में सत्ताधारी दल भाजपा को अब राज्यसभा में किसी बिल को पास कराने में पहले जैसी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

    सुर्ख़ियों में रहा था गुजरात राज्यसभा चुनाव

    राज्यसभा चुनावों में आमतौर पर सभी प्रमुख दल अपने नेताओं को निर्विरोध तरीके से या एकतरफा वोटिंग के माध्यम से संसद के उच्च सदन में भेज देते हैं। पर इस बार के गुजरात राज्यसभा चुनाव इसके ठीक उलट रहे थे। गुजरात के दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 8 अगस्त को मतदान हुआ था। इन तीन सीटों पर 4 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी। भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए “अहमद पटेल के आदमी” कहे जाने वाले बलवंत सिंह राजपूत ने दावेदारी पेश की थी।

    अहमद पटेल
    अहमद पटेल

    कांग्रेस ने अपनी पार्टी के “चाणक्य” कहे जाने वाले सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को चुनाव मैदान में उतारा था। उनकी उम्मीदवारी के वक़्त उन्हें 65 विधायकों का समर्थन हासिल था। ऐसे में अमित शाह और स्मृति ईरानी के साथ अहमद पटेल की जीत भी आसान नजर आ रही थी और उसे तय माना जा रहा था। राष्ट्रपति चुनावों में गुजरात कांग्रेस के विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद दिग्गज कांग्रेसी शंकर सिंह वाघेला की बगावत ने अहमद पटेल की उम्मीदवारी को और कमजोर कर दिया था। शंकर सिंह वाघेला के समर्थन में गुजरात कांग्रेस के विधायकों ने एक के बाद एक अपने इस्तीफे सौंप दिए थे और अहमद पटेल की जीत मुश्किल नजर आने लगी थी।

    रेसॉर्ट, आयकर विभाग और चुनाव आयोग

    कांग्रेस ने अहमद पटेल को जिताने के लिए अपने 44 विधायकों को बेंगलुरु के ईगलटन रेसॉर्ट में ठहराया था। यह रेसॉर्ट कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार का था। आयकर विभाग को सूचना मिली थी कि उनके पास भारी मात्रा में नकदी मौजूद है। रेसॉर्ट समेत उनके 35 ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे पड़े थे और उनके दिल्ली स्थित आवास से 5 करोड़ नकदी भी बरामद हुई थी। हालांकि रेसॉर्ट से कोई नकदी नहीं बरामद हुई थी। कांग्रेस ने आयकर विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उसने यह छापेमारी केंद्र सरकार के इशारे पर उसके विधायकों को डराने के लिए की थी। आयकर विभाग ने सफाई में कहा था कि डीके शिवकुमार रेसॉर्ट में छिपे हुए थे इसलिए उसके पास रेसॉर्ट में छापेमारी के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा था।

    आयकर विभाग
    ईगलटन रेसॉर्ट छापेमारी

    8 अगस्त को शाम 4 बजे तक मतदान पूरा हो चुका था और नतीजे शाम को 6 बजे तक आने थे। लेकिन कांग्रेस अपने दो विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के बाद चुनाव आयोग पहुँच गई और उनके वोट रद्द करने की मांग करने लगी। करीब 10 घंटे के हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद देर रात परिणामों की घोषणा हुई। क्रॉस वोटिंग करने वाले दोनों कांग्रेसी विधायकों के वोटों को रद्द कर दिया गया और इस तरह जीत के लिए निर्धारित मतों की संख्या घटकर 43.51 हो गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 46-46 मत प्राप्त किए वहीं कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने 44 मत प्राप्त किए। इस तरह अहमद पटेल ने आधे मतों से जीत हासिल की और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात में कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।