Sat. Apr 20th, 2024
    अहमद पटेल

    चुनाव आयोग ने अपने हालिया निर्णय में यह कहा है कि 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनावों में ‘नोटा’ का ऑप्शन भी होगा। इस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस ने कहा है कि यह ‘गलत टाइमिंग’ पर लिया गया फैसला है। राज्यसभा चुनाव करीब है और गुजरात में कांग्रेस विधायकों के लगातार इस्तीफे के बाद आंकड़ें कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल के खिलाफ जा रहे हैं। ऐसे में ‘नोटा’ का ऑप्शन अहमद पटेल की उम्मीदवारी और कांग्रेस की उम्मीद दोनों को कमजोर करेगा। आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता आनद शर्मा ने इसे लेकर सवाल उठाये और कहा कि इस बारे में पार्टी को कोई जानकारी नहीं थी। अपने नोटिफिकेशन के दौरान भी चुनाव आयोग ने इसका कोई जिक्र नहीं किया था। कांग्रेस सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई में व्यवधान पड़ा और दो बार कार्रवाई स्थगित भी करनी पड़ी।

    आनंद शर्मा के इस सवाल पर जवाब देते हुए भाजपा सांसद अरुण जेटली यह कहकर इसे ख़ारिज कर दिया कि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस निर्णय पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। गुजरात राज्यसभा चुनावों को लेकर वैसे भी भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर रुख अख्तियार किये हुए हैं। कांग्रेस निरंतर भाजपा पर गुजरात में उसके विधायकों को डरा-धमका और पैसों का लालच देकर इस्तीफ़ा दिलाने का आरोप लगा रही है वहीं भाजपा इसे गुजरात कांग्रेस में अंतर्कलह का नाम दे रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का राज्यसभा आना तय है। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल की सीट पर सेंध लगा भाजपा इस सीट से बलवंत सिंह राजपूत को लाने की फ़िराक में हैं। बलवंत सिंह राजपूत बागी कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं।

    अचानक हुए इस फैसले को लेकर कांग्रेस आशंकित है। उसे नोटा को लेकर सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। अहमद पटेल ने कहा कि पहले राज्यसभा चुनावों की तारीख आगे बधाई गई और अब नोटा का ऑप्शन लाया गया। इन सबके पीछे का सच क्या है वो तो अब चुनाव आयोग ही बता पायेगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।