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    राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में 4 दिन का समय रह गया और चुनाव प्रचार अपने आखिरी चरणों में पहुँच चूका है ऐसे में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राहे सिंधिया ने वक़्त निकाल कर हिंदुस्तान टाइम्स की पत्रकार उर्वशी देव रावल से बातचीत की और कहा कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर जैसा कुछ नहीं है।

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    जब वसुंधरा से पूछा गया कि विरोधी उनपर जनता से कटने का आरोप लगा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि विरोधी तथ्यों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा ‘मैंने जनता से जुड़े रहने के लिए 4 यात्राएं निकाली- सरकार आपके द्वार, आपका जिला आपकी सरकार, जन संवाद और उसके बाद राजस्थान गौरव यात्रा। जब मैं जनता से दूर रहती थी तो अपने काम करती थी। एक मुख्यमंत्री के तौर पर मुझपर काफी जिम्मेदारियां थी। मेरे किये गए कामो को नकारा नहीं जा सकता। एक महिला को नुकसान पहुचना बहुत आसान होता है। हर चुनाव में आप यही सब सुनते हैं।’

    उनसे पूछा गया कि ‘आप कहती है है कि आपने कागी काम किये पिछले 5 सालों में। आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी यही कहते हैं लेकिन वो ये भी कहते हैं कि आप अपने कामों का प्रचार नहीं कर पायीं। क्या आप उनकी बातों से सहमत है? तो वसुंधरा ने इस बात को नकारते हुए कहा ‘मुझे ऐसा नहीं लगता। मुहे लगता है मैंने ज्यादा समय काम करते हुए बिताया है। मुझे नहीं लगता कि काम के दौरान आपलोगों से बात करने का ज्यादा समय मुझे मिल पाता। या तो मैंने आपने कामो का प्रचार करती या अपने काम करती।’

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    चुनाव के ‘भाजपा बनाम जनता’ होने के सवाल पर वसुंधरा का जवाब था कि ऐसा बिलकुल नहीं है। ये भाजपा का चुनाव है जनता के लिए किये गए कामों के बल पर। बनाम तो तब था जब पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया और जनता ने उन्हें सत्ता से हटा दिया।

    जब उनसे पूछा गया कि ‘टिकट बंटवारे में नए चेहरों को मौका कहीं सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए तो नहीं था?’ तो उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि हमने टिकट बाँटने से पहले सर्वे कराया और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया उसके बाद ही टिकट बांटा गया। हमने एक 15 सदस्यीय कोर कमिटी बनाई और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में सबकुछ तय किया। जिनके क्षेत्रों से निगेटिव फीडबैक मिला उनके टिकट काट दिए गए।

    राजस्थान में 7 दिसंबर को वोट डाले जायेंगे और 11 दिसंबर को परिणामो की घोषणा की जायेगी।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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