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    जेट एयरवेज संकट

    वर्तमान में भारी आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज़ अब एक बड़ी मदद की तलाश में है। जेट एयरवेज़ के मालिक नरेश गोयल जिनके पास जेट एयरवेज़ का 51 प्रतिशत हिस्सा है, उन्होने जेट एयरवेज़ को इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए टाटा ग्रुप के सेवामुक्त चेयरमैन रतन टाटा और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के मुखिया अंबानी से संवाद साधा है।

    वहीं दूसरी ओर नरेश गोयल ने विदेशी एयरलाइलों के साथ भी अपनी बात को जारी रखे हुए हैं।

    मालूम हो कि रिलायंस इसके पहले भी कई कंपनियों की मदद कर चुकी है। मुकेश अंबानी ने डूबती किंगफिशर एयरलाइन को भी सहारा दिया था। गौरतलब है कि इस बार गोयल ने मुकेश अंबानी से सीधे बात की है, जिसके बाद अभी मुकेश अंबानी की तरफ से मुद्दे पर कोई बयान सामने नहीं आया है।

    मीडिया सूत्रों के अनुसार टाटा ग्रुप जेट एयरवेज में हिस्सेदारी लेने के लिए तैयार दिख रही थी, लेकिन ग्रुप इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं था कि हिस्सेदारी खरीदने के बाद क्या गोयल जेट एयरवेज़ पर अपनी पकड़ ढीली करेंगे?

    हालाँकि टाटा की तरफ से भी इस संदर्भ में कोई बयान नहीं आया है।

    मालूम हो कि टाटा पहले से ही एयरलाइन के व्यापार में सक्रिय है। टाटा ने एयरएशिया इंडिया व विस्तारा एयरलाइनों में हिस्सेदारी ले रखी है। वहीं दूसरी ओर जेट एयरवेज़ में अरब एयरलाइन कंपनी एतिहाद एयरवेज़ की 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

    जेट एयरवेज़ की वर्तमान आर्थिक हालत को देखते हुए कंपनी का पूरा भविष्य इस बात पर टिका हुआ है कि मुखिया नरेश गोयल अब अगले एक-दो हफ्तों में क्या फैसला लेते हैं?

    इसी के साथ एयरलाइन ने अपने ऋण दाताओं को बताया है कि कंपनी अगले 2 सालों में 2 हज़ार करोड़ रुपये बचाने पर गौर कर रही है, जिसके बाद वह ऋण दाताओं को उनका बड़ा हिस्सा चुकाने पर ज़ोर दिया जाएगा।

    जेट एयरवेज़ घरेलू बाज़ार में कड़ी प्रति स्पर्धा, गिरते रुपये और महँगे विमान ईंधन जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करने में अक्षम नज़र आई है, इसी के चलते जेट एयरवेज़ को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

    हाल ही में जेट एयरवेज़ ने अपने कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह देने में भी असमर्थ नज़र आई थी

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