Thu. Apr 25th, 2024
    योगी आदित्यनाथ गौशाला

    उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से ही योगी सरकार अपने फैसलों को लेकर सुर्ख़ियों में रही है फिर चाहे वह बीफ बैन करने का मुद्दा हो या शहरों के नाम बदलने का। “गौमाता” से योगी सरकार का लगाव भी जगजाहिर है। सरकार गौ-पालन, गौ-रक्षा और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बेहद संजीदा है। अभी हालिया जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि आगामी नवरात्रि से वह राज्य में धार्मिक स्थलों पर गाय के दूध से बनी मिठाइयाँ उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है।

    प्रदेश के डेरी विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने अपने बयान में कहा कि सरकार लोगों में गाय के दूध को लोकप्रिय बनाने का प्रयास कर रही है। उसके लिए वह प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, मथुरा, विंध्याचल और काशी में गाय के दूध से बनी मिठाइयों के प्रसाद के रूप में उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि सरकार ने अपने बजट में इन स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए भारी मद खर्च करने का एलान किया है।

    गौ-पालन उद्योग को बढ़ावा देना है मुख्य लक्ष्य

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौमाता के सन्दर्भ में उठाये गए किसी भी कदम को हिंदूवादी राजनीति से जोड़कर देखा जाता है मगर इसके पीछे छिपे सच से लोग अनजान है। गाय का दूध मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कई गंभीर बिमारियों जैसे कोलेस्ट्रॉल, किडनी दोष और कैंसर में भी लाभकारी होता है। धार्मिक मान्यताओं से परे यह वैज्ञानिक सच है।

    उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गाय का दूध 22 रूपये प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध है। वहीं भैंस का दूध 35 रूपये प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध है। छत्तीसगढ़ में गाय का दूध 45 रूपये प्रति लीटर की दर पर मिलता है। सरकार प्रदेश में गाय के दूध की दर को बढ़ा कर 42 रूपये प्रति लीटर करने के लिए प्रयासरत है तभी लोगों को गाय की महत्ता समझ आयेगी और कोई उन्हें सड़कों पर आवारा घूमने के लिए नहीं छोड़ेगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।