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    योगी आदित्यनाथ

    उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य वरिष्ठ नेताओ के खिलाफ दर्ज मुकदमे को ख़ारिज करने की कवायदे शुरू कर दी है। प्रदेश की सरकार के तरफ से आए फरमान के अनुसार योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त राजयमंत्री शिव प्रताप शुक्ल समेत कई अन्य नेताओ के खिलाफ 22 साल पहले हुए मुकदमे को वापस करने का निर्देश आया है। सीएम योगी के खिलाफ दर्ज 22 साल पहले का मुकदमा भी ख़ारिज किया जायेगा।

    आपको बता दे कि प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय राज्यमंत्री शिव प्रताप पर यह मुकदमा 27 मई, 1995 को गोरखपुर के पीपीगंज थाने में दर्ज हुआ था। इस मामले में योगी, शिव प्रताप और अन्य 13 लोगो पर दर्ज किया गया था। इस मुकदमे में आईपीसी की धारा 188 के तहत मामला दर्ज हुआ था, जिसमे इन सब के खिलाफ गैर जमानती वारंट का भी आर्डर हुआ था।

    योगी आदित्यनाथ और अन्य 13 पर हुए मुकदमे अन्य 20000 राजनीति मुकदमों से अलग है जो कि प्रदेश के नेत्ताओं पर दर्ज हैं। यह सभी मामले धारा 107 व 109 सीआरपीसी के तहत दर्ज है। जिसको उत्तर प्रदेश की सरकार ने बीते दिनों कोर्ट से ख़त्म करने का एलान किया था। इस मुकदमे को खत्म करने के लिए जल्द ही न्यायालय में प्रार्थनापत्र प्रस्तु्त किया जाएगा। जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने 27 अक्टू्बर को पत्र लिखकर शासन से इस मुदकमे को वापस लेने का अनुरोध किया था।

    प्रदेश की मौजूदा सरकार ने हाल ही में एक कानून बनाया है जिसके तहत उत्तर प्रदेश में दायर 20000 हजार राजनैतिक मामलो को ख़त्म कर दिया जायेगा।

    योगी सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कार्टून के जरिए हमला बोला है। कांग्रेस ने अक कार्टून ट्वीट किया जिसमें लिखा है, अपराध में यूपी भले भी अव्वल हो गया हो लेकिन इतने अच्छे दिन पहले कभी नहीं आए। जब सब कुछ खुद ही हों तो फिर बरी तो होना ही था।

    आपको बता दे कि योगी आदित्यनाथ पर पीपीगंज इलाके में में धारा 144 तोड़कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का इल्जाम था। इस प्रदर्शन के दौरान योगी के साथ उनके सहयोगी मौजूदा केंद्रीय वित् राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल और गोरखपुर के सहजनवा से बीजेपी विधायक शीतल पांडेय का भी होने का आरोप है। लेकिन प्रदेश के शासन द्वारा बनाये गए कानून वयवस्था को देखते हुए यह मुकदमा वापस लिया जा रहा है।

    वहीं इस मामले की पुष्टि करते हुए गोरखपुर के एडीएम ने कहा कि यह 1995 में हुए पीपीगंज थाने का मामला है। इसमें मामले में शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया कि अगर मुक़दमे को वापस लेना है तो पब्लिक प्रोसिक्यूटर सम्बंधित अदालत में अर्जी डाल दे। लेकिन इस बीच योगी सरकार ने एक कानून बनाया है, जिसके अंतर्गत प्रदेश में राजनितिक आंदोलनों पर दर्ज 20000 हजार मुकदमे वापस लिए जायेंगे। उसी दिन मुंबई में इंवेस्टर्स मीटिंग में पहुंचे योगी ने कहा की जितने अनावश्यक मुकदमे है इन्हे ख़ारिज किया जायेगा।