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    भारत की जीडीपी बढ़ोतरी को लेकर यूएन की रिपोर्ट

    यूएन ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में साल 2018 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। यही नहीं यूएन ने मजबूत निजी खपत और सार्वजनिक निवेश तथा ढांचागत सुधारों के दम पर साल 2019 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी तक पहुंचने की संभावना जताई है।

    ध्यान देने योग्य बात यह है कि यूएन ने ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच की उस मान्यता को रद्द कर दिया है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2018 में जीडीपी रेट 6.7 फीसदी बताई गई है। यही नहीं अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी 13 साल बाद भारत की रेटिंग में एक पायदान सुधार करते हुए साल 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहने की घोषणा की है।

    आप को बता दें कि पांच तिमाहियों तक भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट बिल्कुल धीमी रहने के बाद मौजूदा समय में 6.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी पहले ही कह चुका है कि भारत जनवरी 2018 तक जीडीपी ग्रोथ 7.4 फीसदी को हासिल कर लेगा।

    आइए हम उन कारणों पर नजर डालते हैं, जिसके कारण यूएन ने भारतीय की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की है…

    मजबूत निजी खपत

    डिमांड में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है, सितंबर 2017 में भारत की निजी खपत न्यूनतम जीडीपी का 57.3 फीसदी था। टेलीविजन चैनल सीएनबीसी टीवी 18 को दिए गए एक इंटरव्यू में मॉर्गन स्टेनली ने अभी हाल में ही कहा था कि, निजी खपत में बढ़ोतरी के चलते हम इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं कि वित्तीय वर्ष 2019 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी रहने की संभावना है। इस प्रकार सार्वनिक निवेश में बढ़ोतरी और मजबूत निजी खपते के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक सुधार हो रहा है।

    सार्वजनिक निवेश में बढ़ोतरी

    चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने ज्यादा मात्रा में सार्व​जनिक निवेश कर रखा है। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले महीने ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए देने की घोषणा कर चुकी है।  आप को बता कि एस एंड पी और फिच सरकार के इस पहल की सराहना पहले ही कर चुके हैं, जिसके अनुसार पुनर्पूंजीकरण से बैंकों की ऋण संबंधी लेनदेन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।

    यही नहीं तीनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों मूडीज, एस एंड पी और फिच इस बात का उल्लेख कर चुकी है कि, साल 2022 तक भारत माला परियोजना के तहत 40,000 किलोमीटर सड़कों के निर्माण और विस्तार के तहत किया जाने वाले 6.9 लाख करोड़ रूपए के निवेश से सरकार के आधारभूत ढांचे को बढ़ावा मिलेगा।

    यही नहीं इससे देश के कारोबारी माहौल, उत्पादकता तथा घरेलू और विदेशी विनिवेश को बढ़ावा मिलेगा। इन गति​विधियों से देश के सतत विकास को मजबूती मिलेगी। एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि देश के बुनियादी ढांचे विशेषरूप से सड़क निर्माण क्षेत्र निवेश से निजी खपत मजबूत होगी और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
    संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश के चलते समग्र निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

    संरचनात्मक सुधार

    अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और देश के आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी और नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों के कारण धीरे-धीरे ही सही भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर बढ़ रही है। अर्थशास्त्री एंड्रयू टिल्टन ने बयान दिया कि नोटबंदी और जीएसटी के कुछ महीनों बाद भारतीय अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत मजबूती की ओर बढ़ रही है।

    मूडीज ने कहा था कि जीएसटी और विमुद्रीकरण ने थोड़े समय के लिए जीडीपी को कम किया है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ अवश्य देखने को मिलेगा। इसी तरह फिच ने भी उम्मीद जताई है कि अगले दो सालों में भारत की जीडीपी बढ़ जाएगी। संरचनात्मक सुधारों के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।