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संयुक्त राष्ट्र में योग की असाधारण वृद्धि के लिए विशेष स्थान है और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाने के लिए आम सभा में प्रस्ताव पारित किया गया था। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने गुरूवार को  यह बयान दिया था।

यूएन की जनरल असेंबली को सम्बोधित करते हुए पांचवे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सईद अकबरुद्दीन ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र में योग की असाधारण वृद्धि के लिए विशेष स्थान है। प्राचीन योग अभ्यास आज वार्षिक वैश्विक क्रिया में परिवर्तित हो गया है।”

वैश्विक स्तर पर योग को मान्यता देते हुए यूएन ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कर दिया था इसका मकसद अभ्यास को नियमित तौर से करने से फायदों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। इसका मसौदा भारत ने प्रस्तावित किया था और रिकॉर्ड 175 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया था।

अकबरुद्दीन ने कहा कि “योग करने वालो की संख्या में वृद्धि हो रही है और समूचे विश्व में इसकी स्वीकारिता नियमित अभ्यास के प्रयासों के फायदों का पता चलता है। इस वर्ष पहली बार योग का अभ्यास जनरल असेंबली हॉल के अंदर किया गया था।

उन्होंने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि यह भीतर योग अभ्यास हरित, स्वच्छ और ज्यादा सतत भविष्य के मूल्यों को  अधिक शक्तिशाली बनाएगी जिसके प्रति सभी योग करने वालो ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन प्रतिबद्धता दिखाई थी।” वांशिगटन में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित योग समारोह में सैंकड़ो की तादाद में योग प्रेमियों ने शिरकत की थी।

एक योग प्रेमी ने कहा कि “यह पहली बार है जब मैं भारतीय योग कर रहा हूँ। यह शानदार है और जापानी योग से अलग है। मैं इस समारोह के आयोजन के लिए भारतीय दूतावास की सराहना करता हूँ।” योग शब्द भारत की संस्कृत भाषा युज से लिया गया है जिसका मतलब प्रवेश, एकजुट होना होता है।

योग अकेले ही शरीर, दिमाग, भावनाओं और ऊर्जा पर नियंत्रण रखता है। पहला योग दिवस 21 जून 2015 को आयोजित किया गया था। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सहित 30000 लोगो ने राजपथ पर योग किया था।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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