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    मसूद अज़हर

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी में सूची में शामिल करने वाले मामले में अमेरिका और चीन के बीच तकरार दिखी थी। बीजिंग ने वांशिगटन पर जबरन यूएन में प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया था। चीन को मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने वाले प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड लगाने के बाबत सार्वजानिक जानकारी देनी थी।

    फ्रांस और ब्रिटेन की मदद से अमेरिका ने अज़हर के मुद्दे को बुधवार के दिन यूएन में उठाया था। दो सप्ताह पूर्व चीन ने इस प्रस्ताव पर तकनीकी आधार पर रोक लगा दी थी। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद् में 14 सदस्यों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है।

    अमेरिका यूएन को नज़रअंदाज़ कर रहा है

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “प्रतिबन्ध समिति के अधिकारों को अमेरिका नज़रअंदाज़ कर रहा है। इस प्रस्ताव के मसले को वार्ता और बातचीत से सुलझाया जा सकता है। यह यूएनएससी की आतंक विरोधी संस्था के तौर पर ख्याति को कम करेगी। यह एकजुटता के अनुकूल नहीं है और इससे सिर्फ मसले को जटिल बनाएगा। हम अमेरिका से सावधानीपूर्वक कार्य करने का आग्रह करते हैं और जबरदस्ती इस मसौदे को पारित करवाने से बचने के लिए कहते है।”

    उइगर को बंदी और चरमपंथियों को संरक्षण

    इस अंतर्विरोध को बढ़ाते हुए अमेरिकी राज्य सचिव ने कहा कि चीन जबरन उइगर मुस्लिमों को कथित चरमपंथ के लिए नज़रबंद रखता है और दूसरी तरफ जेईएम जैसे आतंकी संगठनों का बचाव करता है। उन्होंने कहा कि “उइगर मुस्लिमों की तरफ चीन के शर्मनाक पाखंड को विश्व बर्दाश्त नहीं करेगा। एक तरफ चीन उइगर मुस्लिमों को कैदी बनाकर रखता है और वही यूएन में हिंसक इस्लामिक चरमपंथ समूहों का संरक्षण करता है।”

    चीन को सार्वजानिक स्तर पर पाकिस्तानी समर्थित जैश ए मोहम्मद के बचाव का कारण यूएन में रखना है। इसके बाद परिषद् का अगला कदम सुरक्षा परिषद् में प्रस्ताव पर एक अनौपचारिक चर्चा होगा। यूएन में चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग है। पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन और चीन का उसके गुनाहों पर पर्दा डालने से अब अंतरार्ष्ट्रीय समुदाय ऊब चुका है।

    हाल ही में माइक पोम्पिओ ने चीन के शिविरों में कैद पुराने बंदियों और उनके रिस्तेदारो से मुलाकात की थी। गार्डियन के मुताबिक अमेरिका राजदूत ने मंगलवार को एक उइगर मिहरिगुल तुर्सून से मुलाकात की थी। शिनजियांग में कैदी रही महिला ने बताया कि “उसे उसके बच्चों से जुदा कर दिया गया था और 60 अन्य महिलाओं के साथ नज़रबंद शिविर में कैद कर दिया गया था। वहां बिजली नहीं थी और पूछताछ के दौरान उन्हें बहुत पीटा जाता था।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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