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    2013 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान  हुए मुजफ्फरनगर दंगों में बहुत से बीजेपी नेताओं को नामजद किया गया था।  मुजफ्फरनगर दंगों में कुल 510 लोगों पर मुकदमे दर्ज थे।  लेकिन इनमें बीजेपी के  कुछ दिग्गज नेता जैसे संगीत सोम, सुरेश राणा और कपिल देव अग्रवाल , साध्वी प्राची आदि का नाम भी शामिल है।

    इन नेताओं पर धारा 144 लागू होने के बाद भी पंचायत बुलाने का आरोप है । यह भी कहा जाता है कि इसी पंचायत के बाद दंगे ज्यादा उग्र हुए । साथ ही ये पंचायत बिना प्रशासन की अनुमति के बुलाई गई थी। अब यूपी सरकार ने कोर्ट में इन विधायकों पर से केस वापस लेने को कहा है।यह याचिका जिला सरकार काउंसिल राजीव शर्मा ने दायर की है।   इसका सीधा सा अर्थ ये है कि राज्य सरकार अपनी तरफ से केस वापस ले चुकी है।  अब अंतिम फैसला कोर्ट को करना है।

    मुज़फ़्फरनगर दंगे जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच हुए थे।  मुज़फ़्फरनगर के एक गांव में कथित तौर पर छेड़ खानी के मामले के साथ दंगों की शुरुआत हुई । पीड़ित लड़की के कई बार शिकायत किए जाने पर भी तत्कालीन सपा सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।  इसके बाद संघर्ष शुरू हुआ और उस संघर्ष के बीच यह दंगे इतने ज्यादा बढ़ गए की दो पुलिस अफसरों का तबादला करना पड़ा।  लेकिन सपा सरकार ने मुस्लिमों के पक्ष में कार्यवाही की जिसके कारण जाट समुदाय में सरकार के प्रति गुस्सा फूटा और उसके बाद एक महापंचायत बुलाई गई। इसके बाद दंगे शुरू हुए और पूरे जनपद में हिंसा फैल गई। इसके बाद यह दंगे इतने उग्र हुए कि फिर तत्कालीन सरकार को सेना की सहायता लेनी पड़ी।  इसमें 60 से ज्यादा लोगों ने अपनी जानें गँवाई और बहुत से लोग लापता हो गए। मुज़फ़्फरनगर, शामली, बागपत व सहारनपुर में ये दंगा फैला था।

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