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    अब्दुल्ला यमीन - नरेन्द्र मोदी

    मालदीव में जारी संकट को खत्म करने के लिए भारत के हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। चीन व भारत के बीच में इसे लेकर तनाव भी बढ़ा हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि मालदीव में गतिरोध समाप्त करने के लिए भारत के पास कई विकल्प मौजूद है। इसमे से सैन्य विकल्प प्रमुख है। लेकिन चीन के कड़े ऐतराज के बाद भारत इस कदम को उठाने में संकोच कर रहा है।

    मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भी भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग की है। नई दिल्ली में नीति निर्माताओं के लिए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा भी काफी महत्वपूर्ण रखती है। मालदीव में सैन्य हस्तक्षेप करके भारत को भविष्य में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

    लेकिन इसके अलावा भारत के पास नरम विकल्प भी मौजूद है। जो यामीन की तुलना में मालदीव के अधिक पहुंचाने की क्षमता रखते है। मालदीव की नीति में भारत दूसरा और चीन पहला स्थान बन चुका है।

    नरम विकल्पो में मालदीव को विशेष आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना और मालदीव के मालवाहक ट्रॉलरों को आवश्यक आपूर्ति और मादक पदार्थों के निर्यात को रोकना शामिल है। भारत मालदीव के साथ व्यापारिक संबंधो व निवेशों पर भी रोक लगा सकता है।

    ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों से संकेत मिलता है कि वो दक्षिण एशिया में भारत को सबसे ताकतवर देश मानते है जो कि मालदीव संकट को दूर कर सकता है। भारत मालदीव को आपातकाल हटाने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम व सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों सहित हाल के दिनों में गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने के लिए मजबूर कर सकता है।

    मालदीव में हालात खराब होन की वजह से आईएस भारत में प्रवेश कर सकता है। वहीं चीन मालदीव के संकट को खुद के स्तर पर कम करने को कह रहा है। चीन ने माले हवाई अड्डे के निर्माण के साथ-साथ एक आवास परियोजना और मालदीव द्वीप समूह के प्रमुख पुल का निर्माण करने के लिए एक परियोजना शामिल की है जिसमें 7,000 आवासीय इकाइयां शामिल है।

    नई दिल्ली को आशंका है कि चीन मालदीव में अपना विस्तार करके भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर निगरानी करने की फिराक में है। मालदीव भी चीनी टैंकरों को हिंद महासागर में विस्तारित करने की अनुमति दे रहा है।

    इसके अलावा मालदीव ने भारत को छोड़कर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौतो पर हस्ताक्षर भी किए है। चीन और मालदीव के बीच एक अन्य समुद्री सहयोग समझौते ने भारत में सुरक्षा के हितों को खतरे में डाला है।