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    amit shah and devendr fadanvis

    लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में गठबंधन पर भाजपा और शिवसेना में मची रार के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्य में लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने के लिए तैयार रहने को कहा है।

    लातूर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में फडणवीस ने कहा “अब हमें राज्य की सभी 48 सीटों पर अकेले उतरने के लिए तैयार रहना चाहिए।” अमित शाह ने पार्टी को कहा “भाजपा बिना गठबंधन के भी अकेले दम पर भी 48 में से 40 सीटें जीतेगी।”

    उन्होंने कहा “युति (गठबंधन) होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।”

    2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 48 में से 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था और शिवसेना के लिए 22सीटें छोड़ी थी। भाजपा ने अपने 26 में से 22 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली थी।

    अमित शाह के बयान पर शिवसेना ने प्रतिक्रिया देते हूयते कहा “मुकाबला हो जाने दीये इस बार राज्य की जनता भाजपा को उसकी जगह दिखा देगी।”पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा “भाजपा अध्यक्ष का अहंकार से बहरा बयान उसके स्टैंड को दिखाता है। ये साबित हो गया कि भाजपा उनके साथ गठबंधन करने को इच्छुक नहीं है जिनका हिंदुत्व में विश्वास है।

    राज्य और केंद्र में भाजपा की सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना भाजपा और नरेंद्र मोदी की मुखर आलोचक रही है। अब तक मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी भाजपा और शिवसेना के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के मुखर समर्थक रहे हैं लेकिन अब लगता है कि गठबंधन होना मुश्किल है।

    रविवार को भाजपा अध्यक्ष शाह ने ओस्मानाबाद निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव पुर्व तैयारियों का जायजा लिया। ओस्मानाबाद सीट अभी शिवसेना के पास है। शाह और फड़नवीड ने लातूर, नांदेड, हिंगोली और ओस्मानाबाद के करीब 5000 बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की। 2014 में भाजपा ने लातूर में जीत हासिल की थी जबकि नांदेड और हिंगोली कांग्रेस के पास है।

    2019 के चुनाव को पानीपत की लड़ाई बताते हुए शाह ने कहा “2014 में हमारी सरकार सिर्फ 6 राज्यों में थी उसके बावजूद हमने आसानी से लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की। अब हमारी सरकार 16 राज्यों में है।” महागठबंधन पर उन्होंने कहा “हम अभी भी उन्हें हरा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में हम 74 सीटें जीतेंगे।”

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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