Wed. Apr 24th, 2024

    लव जिहाद रोकने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। मध्यप्रदेश की विधानसभा में आज धार्मिक स्वतंत्रता यानी फ्रीडम ऑफ रिलीजन नाम का विधेयक पारित कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह कानून लव जिहाद रोकने के लिए बनाया गया है। 1 मार्च को मध्यप्रदेश की विधानसभा में इस विधेयक को पेश किया गया था और 5 मार्च को इस विधेयक पर चर्चा की जानी थी। लेकिन 5 मार्च को बजट चर्चा होने के कारण इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो पाई। शिवराज सरकार ने इसे एक सोच समझकर की गई चर्चा के बाद बनाया गया विधायक बताया है। शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि इस कानून को बनाने का फैसला सभी नेताओं ने मिलकर किया है। साथ ही यह फैसला पूरे लोकतांत्रिक तरीके से लिया गया है।

    इस विधेयक पर पहले जब रायशुमारी की गई थी तो सभी नेताओं की राय ली गई थी और ज्यादातर इसके समर्थन में थे। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया और आज इस पर चर्चा हुई है। इसके बाद यह विधेयक विधानसभा में पारित होकर कानून बन गया है। इस विधेयक के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को बहला कर, धमका कर या बल पूर्वक विवाह करवाने और धर्मांतरण के लिए मजबूर करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा और इसके अलावा गैर जमानती धाराओं के तहत केस भी दर्ज किया जाएगा। साथ ही यदि कोई व्यक्ति यदि इस तरह के कृत्य का समर्थन या सहयोग करता है तो उसको भी वही सजा मिलेगी जो इस मामले के मुख्य आरोपी को मिलेगी।

    यदि कोई जिलाधिकारी को बताए बिना या आवेदन किए बिना धर्मांतरण करता है तो उसको 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। कुल मिलाकर यह कानून काफी मजबूत बनाया गया है ताकि कोई भी बलपूर्वक या अनैतिक रूप से किसी का धर्म परिवर्तन न करवा सके। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार लव जिहाद को रोकने के लिए कानून लेकर आई थी, जिसका सभी ने स्वागत किया है। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार का लव जिहाद के खिलाफ एक कड़ा कानून लेकर आना एक लंबी चर्चा पर विराम है।

    भाजपा शासित कई राज्यों में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनने शुरू हो चुके हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में जबरन धर्मांतरण नहीं होगा और यदि कोई ऐसा करता है तो उसको कठोरतम सजा दी जाएगी। प्रदेश में पहले भी नाबालिग लड़कियों से जबरन विवाह व धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा था। ऐसी घटनाओं की बढ़ती संख्या को बाद सरकार को ये कदन उठाना पड़ा।

    इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा कि वह किसी भी बाहरी दबाव के चलते अपना धर्म परिवर्तन नहीं कर रहा और यदि कोई जबरन धर्म परिवर्तन करवाता है तो उसको गैर जमानती धाराओं के तहत न्यायोचित दंड दिया जाएगा। अंतर धार्मिक विवाह करवाने दोनों पक्षों को लिखित में जिलाधीश के सामने आवेदन देना होगा। और बगैर आवेदन के अंतर धार्मिक विवाह करवाने वाले काजी, मौलवी, पादरी आदि पर भी कठोर कार्यवाही की जाएगी।

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